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प्रयागराज

द्वितीय विश्व युद्ध के सैन्य अधिकारी का 101 की उम्र में निधन, जंगल में बिताई रातें, पिया नाले का पानी

भारत-पाक और भारत-चीन युद्ध में लिया था भाग

प्रयागराजJan 23, 2018 / 09:51 am

arun ranjan

Major FKK Sarkar death

मेजर एफकेके सरकार का निधन

इलाहाबाद. द्धितीय विश्व युद्ध के सैन्य अधिकारी मेजर (रिटायर्ड) एफकेके सरकार का 101 साल मंे निधन हो गया। उन्हें इलाहाबाद कैंट में भावभीनी श्रद्धांजलि देकर सोमवार को राजापुर स्थित कब्रिस्तान मंे दफनाया गया। मेजर सरकार द्धितीय विश्व युद्ध के अलावा 1947-48 में भारत पाक युद्ध और 1962 में भारत-चीन युद्ध में भी भाग हिस्सा लिया था।

मेजर (रिटायर्ड) एफकेके सरकार का जन्म अविभाजित बांग्लादेश में हुआ था। जीवन के अंतिम समय में भी अपना काम खुद से करने में विश्वास रखते थे। स्वास्थ्य खराब होने पर 17 जनवरी को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रविवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। सोमवार को उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देकर राजापुर कब्रिस्तान में दफनाया गया। इसके पूर्व उन्हें इलाहाबाद कैंट ने अपने दिवंगत वेटरन को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। सबकी ओर से कार्यवाहक स्टेशन कमांडर ब्रिगेडियर एके त्रिपाठी ने श्रद्धांजलि दी। इनके अलावा कर्नल बलबीर झा ने चीफ आॅफ द आर्मी स्टाॅफ की तरफ से श्रद्धांजलि दी।

जंगल में नाले का पानी पीकर गुजारी रात

जिले में सबसे वयोवृद्ध मेजर (रिटायर्ड) एफकेके सरकार ने 95 साल की उम्र में अपनी जीवनी पर आधारित पुस्तक “द मेमोयरस आॅफ ए सोल्जर” पुस्तक लिखी। उन्होंने युद्ध के समय कई रातें जगलों में गुजारी थी। जंगल मंे पानी की किल्लत होने के कारण नाले में बह रहे गंदे पानी तक पिए। जंगम में कई राते भूखे प्यासे ही गुजारनी पड़ी। खाने के लिए जंगलों में फल का सहारा रहा है। इस संघर्ष के बावजूद हौंसले में कमी नहीं आई। इनके अलावा जंगल में तैनात कई जवानों ने इस तरह का संघर्ष किया।

जंगलों में जवानों को गंदे पानी से होने वाली बिमारियों और मच्छरों से फैलने वाले मलेरिया से खतरा था। जिसके कारण ज्यादातर जवानों को जान से हाथ धोना पड़ा। मलेरिया से बचने के लिए जवानों को कड़वी दवा पिलायी जाती थी। दुश्मन की गोलियों से ज्यादा जवान इस दवा से डरते थे। सैन्य अधिकारी जवानों को खड़ा कर दवा पिलाते थे। मालूम हो कि मेजर सरकार इंडियन मिलीटरी अकादमी के स्नातक और देशभर में नेशनल कैडेट कोर को स्थापित करने वाले प्रथम भारतीय अफसरों में एक थे। एनसीसी की ड्रेस, बैज के निर्धारण व उनके नियम-निर्देश बनाने मंे अह्म भूमिका अदा की।

 

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