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प्रयागराज

21 अगस्त से पहले यूपी में हर हाल में अनिवार्य हो शादियों का रजिस्ट्रेशन, इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश

उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण नियमावली लागू करने का इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, अभी राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिये लंबित है नियमावली।

प्रयागराजAug 09, 2017 / 10:52 pm

प्रसून पांडे

इलाहाबाद. हाईकोर्ट इलाहाबाद ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि सूबे में अनिवार्य विवाह पंजीकरण नियमावली जल्द से जल्द लागू की जाए। इस मामले में सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर बताया गया कि नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है और इसे अनुमोदन के लिये राज्यपाल के समक्ष भेजा गया है। जैसे ही नियमावली को अनुमोदन मिल जाएगा अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। अपनी मर्जी से विवाह करने वाले जोड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दिया है।
Allahabad High Court
याचिका पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट में विवाह करने वाले जोड़े बड़ी संख्या में संरक्षण के लिए लगातार याचिका दाखिल करते हैं। इनके विवाह के सत्यापन का कोई भी जरिया नहीं होता है। कोर्ट की ओर से इनको हिन्दू मैरिज एक्ट या स्पेशल मैरिज एक्ट में विवाह पंजीकरण कराने को आदेश दिया जाता है।
Yogi Adityanath Met Muslim Womens
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में एक याचिका में प्रदेश सरकार को अनिवार्य विवाह पंजीकरण नियमावली लागू करने का निर्देश दिया है। सरकार की ओर से हलफनामा दाखिल कर जल्द से जल्द नियमावली लागू करने का आश्वासन दिया था। बावजूद इसके कुछ नहीं किया गया। इसके बाद 2015 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी सभी राज्यों को अपने यहां अनिवार्य विवाह पंजीकरण नियमावली लागू करने का निर्देश दिया था।
Yogi Adityanath
अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी और स्थायी अधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को बताया कि विवाह पंजीकरण की नियमावली तैयार कर ली गयी है और इसमें आवश्यक संशोधन भी कर लिये गये हैं। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह राज्यपाल के यहां अनुमोदन के लिए भेजी गयी है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को 21 अगस्त से पूर्व नियमावली लागू करने का निर्देश दिया है।
Nikah Nama
बता दें कि यूपी सरकार ने कुछ ही दिनों पहले यूपी में सभी धर्मों की शादियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने का ऐलान किया है। इसमें मुस्लिमों के बहुविवाह भी शामिल हैं। इस नियम के आने के बाद कुछ उलेमा की ओर से ऐतराज किया गया। उनकी दलील रही कि हमारे यहां शादियों में निकाहनामा भी एक तरह का रजिस्ट्रेशन है ऐसे में दूसरे रजिस्ट्रेेेेशन की कोई जरूरत नहीं दिखती।
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