इस मुकदमे में मऊ की सेशन कोर्ट ने कुछ महीने पहले ही तीन लोगों को सजा सुनाते हुए मुख्तार अंसारी समेत आठ आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था, जिसके खिलाफ दूसरे पक्ष ने अपील की थी। अब यह मुकदमा एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट इलाहाबाद में सुना जा रहा है, जहां माननीयों के मुकदमों की जल्दी-जल्दी सुनवाई की जा रही है।
कोर्ट के सख्त रुख से मुख्तार अंसारी की मुश्किलें लगातार बढ़ती चली जा रही हैं। बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या के मामले में पहले से सलाखों के पीछे बंद मुख्तार अंसारी ने 2007, 2009, 2012, 2014, और 2017 का विधानसभा चुनाव जेल में बंद रहते हुए ही लड़ा था, जिसमें वह 2009 व 2014 का लोकसभा चुनाव हारे जबकि विधानसभा चुनाव मऊ की सदर सीट से लगातार जीतते चले आ रहे हैं। मायावती ने उन्हें एक बार फिर बसपा में वापस लिया है और अंसारी परिवार की स्थिति फिलहाल बसपा में मजबूत है। माना जा रहा है कि अंसारी परिवार को लोकसभा चुनाव में टिकट मिलेंगे। पर यदि 2019 का चुनाव भी वह जेल के अंदर रहकर लड़े तो उसका हाल भी कहीं 2009 व 2014 के जैसा न हो इसको लेकर समर्थकों में चिंता है।
क्या था मन्ना हत्याकांड मऊ में 2009 में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह ‘मन्ना सिंह’ व राजेश राय की सरेआम अंधाधुंध फायरिंग कर हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में गवाह राम सिंह मौर्य को जान का खतरा बताने के बाद सुरक्षा मुहैया करायी गयी। बावजूद इसके साल 2010 की 19 मार्च को राम सिंह मौर्य व उनके गनर कांस्टेबल सतीश सिंह को गोलियों से भून दिया गया। लम्बे समय तक मऊ के सेशंस कोर्ट में मुकदमा विचाराधीन रहा। कुछ महीने पहले मामले में मुख्तार समेत आठ आरोपपी दोषमुक्त किये गए। अब यह मुकदमा माननीयों के लिये बनी विशेष अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया है, जहां मुख्तार अंसारी की जमानत याचिका खारिज कर दी गयी।