2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पीएम मोदी के विजय रथ को बीते विधानसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा। भाजपा के हाथ से देश के तीन बड़े राज्य निकल गए। माना जा रहा है कि देश में आम चुनाव से पहले संगम की रेती से 2019 के सियासत का शंखनाद होने जा रहा है। कुंभ के आयोजन के जरिए दुनिया के साथ देशभर के हिंदुओं को एकजुट करने में भाजपा ने अपनी सारी ताकत लगा दी है। कुंभ के आयोजन की पहली बार दुनिया भर में ऐसी ब्रांडिंग की जा रही है। दिव्य और भव्य कुंभ का नारा दिया गया है।
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी सरकार ने कुंभ के लिए खजाना खोल दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पूरी निगरानी में कुंभ की तैयारियां पूरी कराने में लगे हैं। दुनियाभर 71 हेड ऑफ नेशंस को बुलाकर योगी सरकार एक बड़ा इतिहास रच दिया है।
जहां आरक्षण जैसे तमाम मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देशभर में विरोध हुआ तो वही हिंदुत्व की आस्था के सबसे बड़े प्रतीक को विशालता देकर एक बार फिर अपने हिंदूवादी होने का तमगा भाजपा सरकार कायम रखना चाहते हैं जिसका सियासी फायदा आगामी 2019 के कुंभ में लेने की कोशिश है।
एक तरफ जहां कुंभ मेले के जरिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विकास के बड़े पैमाने को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं संगम की रेती पर धर्म सभा और संत समागम के जरिए विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक हिंदुत्व के मुद्दे को बल देते दिखेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा फूलपुर लोकसभा में अपने बड़े सियासी मायने को दर्शाती है यह तय माना जा रहा है कि आगामी कुंभ मेला देशभर में सियासी गर्मी पैदा करेगा।