इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के समक्ष दायर की गई याचिका में ‘लव जिहाद’ (Love Jihad) के नाम पर धार्मिक धर्मांतरण (Religion Coversion) के खिलाफ यूपी सरकार के विवादास्पद अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
Allahabad Highcourt
पत्रिका न्यूज नेटवर्क.प्रयागराज. यूपी सरकार द्वारा लाए गए अवैध धर्मांतरण कानून का मामला एक बार फिर कोर्ट में पहुंच गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के समक्ष दायर की गई याचिका में ‘लव जिहाद’ (Love Jihad) के नाम पर धार्मिक धर्मांतरण के खिलाफ यूपी सरकार के विवादास्पद अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। अधिवक्ता सौरभ कुमार ने इस कानून के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया है और इस पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह कानून नैतिक और संवैधानिक दोनों रूप से गलत है। उन्होंने न्यायालय से इस कानून को रोकने व अंतरिम रूप से अधिकारियों को इसके अनुपालन में कोई ठोस कार्रवाई न करने के लिए निर्देश देने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह कानून राज्य में किसी भी नागरिक द्वारा किसी भी धर्म के जीवन-साथी चुनने पर पुलिस को उसके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार देता है। इस प्रकार से यह कानून संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए व्यक्तिगत स्वायत्तता, गोपनीयता, मानव गरिमा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।
ये भी पढ़ें- कोविड वैक्सीन कब मिलेगी? सीएम योगी ने खत्म किया सस्पेंस, बताया समयपास हुआ था अध्यादेश- उत्तर प्रदेश में लव-जिहाद व धर्मांतरण की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 को मंजूरी दी गई थी। इस पर राज्यपाल की मोहर लगने के बाद कानून बन चुका है। कानून में कड़े प्रावधान है। कानून के तहत छल-कपट व जबरन धर्मांतरण के करने के मामले में दोषी को एक से दस वर्ष तक की सजा हो सकती है। खासकर किसी नाबालिग लड़की या अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला का छल से या जबरन धर्मांतरण कराने के मामले में दोषी को तीन से दस साल तक की सजा हो सकती है।
ये भी पढ़ें- भाजपा विधायक के पिता व पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री रहे नेता के निधन पर सीएम ने जताया दुखसुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है मामला- अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए बने कानून को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी जा चुकी है। तीन दिसंबर को याचिकाकर्ताओं ने इस कानून को मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया है व इसपर रोक लगाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दिल्ली के वकील टविशाल ठाकरे, अभय सिंह यादव और प्रणवेश ने इस कानून के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। उन्होंने कहा कि कानून मनमाना है। “लव जिहाद” के नाम पर बने इन कानून को निरर्थक और शून्य घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि “वे संविधान के मूल ढांचे को भंग करते हैं।” यह कानून बोलने और धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं ने इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट से अवैध व असंवैधानिक करार देने की मांग की थी।