scriptतब इंदिरा गांधी ने मंदिर के फर्श पर सोकर गुजारी रात और कांग्रेस को मिली बम्पर जीत, अब प्रियंका पहुंची मंदिर | Priyanka Gandhi Night Halt in Temple Like Indira Gandhi Stay in Mandir | Patrika News
प्रयागराज

तब इंदिरा गांधी ने मंदिर के फर्श पर सोकर गुजारी रात और कांग्रेस को मिली बम्पर जीत, अब प्रियंका पहुंची मंदिर

1977 की सबसे बुरी हार के 1978 का आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव जीती थी
इंदिरा गांधी के धुआंधार प्रचार से कांग्रेस के मोहसिना किदवई हुए थे विजयी।
प्रियंका गांधी भदोही के मशहूर सीतामढ़ी मंदिर (सीता समाहित स्थल) में कर रही हैं रात्रि प्रवास।
इलाहाबाद से वाराणसी वाया भदोही और मिर्जापुर चुनावी गंगा यात्रा पर हैं प्रियंका।
पूर्वांचल का प्रभारी बनाए जाने के बाद लोकसभा में पार्टी में जान फूंकने उतरी हैं।

प्रयागराजMar 18, 2019 / 10:43 pm

रफतउद्दीन फरीद

Priyanka Gandhi Indira Gandhi

प्रियंका गांधी और इंदिरा गांधी

एमआर फरीदी

इलाहाबाद. पॉलिटिक्स में इंट्री और महासचिव का पद संभालने के बाद प्रियंका गांधी पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस में जान फूंकने में जुट गयी हैं। उनकी चुनावी गंगा यात्रा इलाहाबाद से शुरू होकर भदोही पहुंच चुकी है। प्रियंका भदोही के सीतामढ़ी मंदिर (सीता समाहित स्थल) पर रात्रि प्रवास करेंगी। 2014 में कांग्रेस की शर्मनाक हार के बाद राहुल गांधी के साथ अब प्रियंका गांधी भी लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में पार्टी को लड़ाई में लाने में जुट गई हैं। प्रियंका गांधी की ही तरह कभी इंदिरा गांधी ने भी ऐसी ही कोशिश की थी और नतीजे में ऐतिहासिक हार के तुरंत बाद वो लोकसभा का उपचुनाव जीत गयी थीं। तब उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की तरह सुरक्षा और हूलियत नहीं मिली थी। यहां तक कि सरकारी मशीनरी इस कोशिश में जुटी थी कि वह प्रचार ही न कर सकें। इन सबके बावजूद कांग्रेस ने ऐतिहासिक हार के बाद उपचुनाव जीता और कांग्रेस फिर से उठ खड़ी हो गयी।
Priyanka Gandhi
 

1977 में कांग्रेस अपने इतिहास की सबसे शर्मनाक हार का सामना कर चुकी थी। हार के चलते नेता और पार्टी कार्यकर्ता बेहद सदमे में थे। निराशा इस कदर कि कांग्रेस और कांग्रेसी यह तय नहीं कर पा रहे थे कि वह 1978 का आजमगढ़ लोकसभा सीट का उपचुनाव लड़ें या नहीं। बहुतेरे नेता ऐसे थे जिनका मत था कि कांग्रेस को उपचुनाव नहीं लड़ना चाहिये। बावजूद इसके धुन की पक्की कही जाने वाली इंदिरा गांधी उपचुनाव में प्रत्याशी उतारा और कांग्रेस भारी वोटों से जीती। लोकसभा के इस एक उपचुनाव से निराश और हताश कांग्रेसी उत्साहित हो गए और कांग्रेस में जैसे जान लौट आयी।
Priyanka Gandhi
 

राम नरेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद 1978 में आजमगढ़ का उपचुनाव हुआ। इसके पहले कांग्रेस 1977 में यूपी में सबसे बड़ी हार का सामना कर चुकी थीं। खुद इंदिरा गांधी को राजनारायण ने रायबरेली से हरा दिया था। कांग्रेस हार के साथ ही विघटन का भी सामना कर चुकी थी। आजमगढ़ उपचुनाव के दौरान कांग्रेस को एक और झटका लगा था, कुछ महीने पहले कांग्रेस के टिकट पर लड़कर एक लाख से ज्यादा वोट पाने वाले चन्द्रजीत यादव रेड्डी कांग्रेस का दामन थाम चुके थे। वहां कोई मजबूत कैंडिडेट न मिलने पर इंदिरा गांधी ने आजमगढ़ उपचुनाव में मोहसिना किदवई को उतार दिया। जीत की बेहद कम उम्मीद के बावजूद इंदिरा के नेतृत्व में कांग्रेस ने वहां मजबूती से लड़ाई का फैसला लिया और खुद इंदिरा गांधी प्रचार करने पहुंचीं।
Banvari lal jalan
 

नहीं मिला डाक बंग्ला तो इंदिरा गांधी ने मंदिर में गुजारी रात

इंदिरा गांधी प्रचार के लिये पहुंचीं तो बहुत कोशिशों के बाद भी उनको ठहरने के लिये सर्किट हाउस नहीं मिला। आजमगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार बनवारी लाल जालान बताते हैं कि इंदिरा गांधी ने आजमगढ़ में चार दिनों तक रुककर प्रचार किया। सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर प्रचार में खासी परेशानियां पैदा की गयीं। कप्तानगंज कस्बे में प्रचार के लिये गईं तो वहां एक रात रुकने का प्रोग्राम था। पर वहां उन्हें रुकने के लिये डाक बंग्ला तक देने से इनकार कर दिया गया। वह इससे विचलित नहीं हुईं और बाजार से सटे एक मंदिर के फर्श पर सोकर रात बितायी। इंदिरा की यही अदा जनता को भा गयी। जालान बताते हैं कि उस रात जब गांव की महिलाओं ने देखा कि इंदिरा गांधी जैसी शख्सियत मंदिर में फर्श पर सो रही हैं तो उन्हें हमदर्दी हुई। डाक बंगला न मिलने की बात महिलाओं में चर्चा का विषय बनी और उनका मंदिर में रुकना वरदान हो गया। आजमगढ़ में 1978 का उपचुनाव कांग्रेस बड़े अंतर से जीत गयी।
वह बताते हैं कि एक चुनाव में तो इंदिरा गांधी को सभा के लिये कचहरी ग्राउंड नहीं दिया गया। इसके बाद उन्हें रेलवे की जमीन मुहैया करायी गयी और तब जाकर उनकी सभा हुईं। जालान बताते हैं कि रातों रात मंच बना और खुद उनके घर से कुर्सी आयी और वह मंच पर रखी गयी तब जाकर दूसरे दिन इंदिरा गांधी की सभा हुई।

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