पशु मेले की शान बनी राजस्थान की गाय, डेढ़ लाख में बिकी एक भैंस
अब बेहतर नस्ल की गाय के प्रति पशु पालकों का क्रेज बढ़ा है। सहसों स्थित विराट पशु मेले में संकर प्रजाति की अच्छे किस्म के गोवंश लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

प्रयागराज. भारतीय संस्कृति में गाय की देवी देवताओं के स्वरूप में पूजा अर्चना की जाती है। रसोई की सुख समृद्धि के लिए सुबह की पहली रोटी भी गाय को खिलाई जाती है। लोग आया के लिए गाय पालन भी एक अच्छा स्त्रोत मानते हैं। अब बेहतर नस्ल की गाय के प्रति पशु पालकों का क्रेज बढ़ा है। सहसों स्थित विराट पशु मेले में संकर प्रजाति की अच्छे किस्म के गोवंश लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
विराट पशु मेले के व्यवस्थापक तीरथ सिंह ने बताया कि यह पशु मेला दशकों पूर्व लग रहा है। आज भी वह गोवंशों व व्यापारियों की रहने-खाने सहित अन्य व्यवस्था को देते हुए पशु मेला सुचारू रूप से संचालित कर रहे हैं। यहां पर दूसरे प्रदेशों के व्यापारी सहित क्षेत्रीय व्यापारी भी आकर रोजगार से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर अच्छी नस्ल की कई गाय होने के कारण पशुपालक के अतिरिक्त महंत आकर मनपसंद गाय ले जाते हैं। वर्तमान में इस मेले में राजस्थान की गिर प्रजाति की 90 हजार रुपये कीमत की गाय आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
डेढ़ लाख की भैंस भी बनी आकर्षण का केंद्र
इस मेले में डेढ़ लाख की भैंस आकर्षण का केंद्र बने रहे। मेले में व्यापारी ननकू, पप्पू, बच्चू मुजम्मिल, नाजिम, राजेंद्र, ननकू आदि व्यापारी अच्छी नस्ल की भैंस तथा पडिय़ा का व्यापार करते हैं। उन्होंने बताया कि इस समय मेले में हरियाणा की शंकर प्रजाति की डेढ़ लाख रुपये तक की भैंस तथा दर्जनों अच्छी नस्ल की पड़िया हैं।
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