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वहीं अदालत ने छात्रा द्वारा मजिस्ट्रेट के सामने 164 का बयान दोबारा दर्ज कराए जाने की अर्जी भी ठुकरा दी है। अदालत ने कहा है कि छात्रा ट्रायल कोर्ट में इसके लिए अर्जी दाखिल कर सकती है। यह कोर्ट निचली अदालत के काम में दखल नहीं देगी। छात्रा ने मजिस्ट्रेट बयान के वक्त एक अंजान महिला के मौजूद रहने व सिर्फ अंतिम पेज पर ही दस्तखत कराने का सुनवाई के दौरान आरोप लगाया था। अदालत ने यूपी सरकार की तरफ से इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में किये जाने की मांग भी मांग अस्वीकार कर दी है। हांलाकि अदालत एसआईटी की अब तक की जांच से फौरी तौर पर संतुष्ट नजर आयी।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच इस मामले में 22 अक्टूबर को फिर से सुनवाई करेगी। एसआईटी को बाइस अक्टूबर को कोर्ट में अगली प्रोग्रेस रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। सुनवाई के दौरान पीड़िता और उसका परिवार भी कोर्ट में मौजूद रहा। मामले की सुनवाई शुरु होने पर सबसे पहले एसआईटी ने सील बंद लिफाफे में जांच की प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश की। एसआईटी ने तीन लिफाफे में अदालत को प्रोग्रेस रिपोर्ट सौंपी। एसआईटी आईजी नवीन अरोड़ा ने सबूत के तौर पर पेन ड्राइवएसीडी व अन्य डाक्यूमेंट भी कोर्ट में पेश किया। गौरतलब है कि मामले की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर स्पेशल बेंच गठित की है। एसआईटी ने प्रारम्भिक जांच और पूछताछ के बाद स्वामी चिन्मयानंद को 20 सितंबर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। जहां पर तबियत बिगड़ने पर सोमवार को ही उन्हें एसजीपीजीआई लखनऊ में भर्ती कराया गया है। इस मामले में एसआईटी ने स्वामी चिन्मयानंद से पांच करोड़ की रंगदारी मांगने वाले तीन आरोपी युवकों को भी 20 सितम्बर को ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। जबकि पीड़िता को अरस्टे स्टे न मिलने से अब उस पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।