यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने
रणविजय सिंह सहित दर्जनों याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आयोग ने चयनित अभ्यर्थियों को नोटिस जारी कर अंगूठा निशान देने व हस्ताक्षर सत्यापित कराने को कहा और विशेषज्ञ की राय के आधार पर हस्ताक्षर व अंगूठा निशान का मिलान न होने के कारण सभी दर्जनों कांस्टेबलों को बर्खास्त कर दिया गया।
याचिका पर अधिवक्ता अशोक खरे व भारत सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह आदि ने पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा कि आयोग ने बर्खास्तगी से पहले किसी को कारण बताओ नोटिस नहीं दी। अंगूठा निशान व हस्ताक्षर के बाद विशेषज्ञ की राय की किसी को जानकारी नहीं दी गयी। किसी भी कर्मचारी को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। विशेषीकष्त पहचान पत्र के बावजूद आयोग सही पहचान करने में विफल रहा।
याचियों को न केवल बर्खास्त कर दिया गया, वरन अगले तीन सालों तक भर्ती में शामिल होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। याचियों के चयन के बाद प्राविधिक चयन को रद्द कर आयोग ने अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया है। अप्रैल 2014 को याचीगण
सीआरपीएफ कांस्टेबल पद पर चयनित किये गये। परिणाम पुनरीक्षित किया गया था। अंगूठा निशान व हस्ताक्षर लेकर सेन्ट्रल फोरेन्सिक साइन्स लैबोरेटरी में जांच करायी गयी और उसकी रिपोर्ट के आधार पर सभी को बर्खास्त कर दिया गया था।
By Court Correspondence