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कोर्ट ने कहा कि याचियों पर लगाए गए आरोप और विवेचना के दौरान उनके विरुद्ध मिले साक्ष्यों का परीक्षण मुकदमे के ट्रायल के दौरान किया जाएगा। ऐसे में इस स्थिति में एफआईआर पर हस्तक्षेप करने का कोई औचत्यि नहीं है।
याचिका में कहा गया था कि पुलिस ने याचियों फर्जी तरीके से फंसाया है। वह भी केवल इसलिए कि घटना के दौरान रिपोर्टिंग करते समय उन्होंने पुलिस अधिकारियों से सवाल पूछ लिए थे। चारों याचियों के खिलाफ बिजनौर पुलिस ने 20 दिसंबर 2019 को नाथुर थाने में विधिविरुद्ध जमाव हत्या का प्रयास भीड़ को उकसाने और हिंसा में शामिल होने आदि के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। याचिका में इस एफआईआर को निरस्त करने और याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की गई थी।