जी हां 68,500 शिक्षकों की भर्ती में जिन्हे दो. पांच और सात नंबर भी मिले थे उन्हे भी नौकरी मिल गई जिले आवंटित कर दिये गये। जबकि इसके पहले रिजल्ट में ये सब नॉट क्वालिफाइड थे। लेकिन उसके बाद भी काउंसलिंग के बाद सचिव बेसिक शिक्षा परिषद एवं एनआईसी ने इन अभ्यर्थियों को जिले आवंटित कर दिए। जैसे ही इस कारनामे की भनक दूसरे अभ्यर्थियों को लगी। मामले ने तूल पकड़ लिया। जांच के डर से बेसिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश के 14 जिलों के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी।
किसे अलाट हुआ कौन सा जिला जब मामले ने तूल पकड़ा तो बात सामने आने लगी। दूसरे अभ्यर्थियों ने पूरी कारनामा ही खोलकर रख दिया। परीक्षा परिणाम में मात्र दो अंक पाने वाले गोरखपुर के अरुण कुमार को देवरिया, पांच अंक पाने वाले महराजगंज के निजाम हुसैन को 55 अंक पाने वाले सत्यपाल चौहान को बलरामपुर, 22 अंक वाले शिवेंद्र कुमार वर्मा को बाराबंकी व जिला आवंटित कर दिया गया।
इसी प्रकार सात अंक पाने वाले देवरिया की एस खातून को जिले का आवंटन अंतिम समय में नहीं हो सका। परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों का कहना है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से मिले इस रिकार्ड को आधार बनाकर वह हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। छात्रों का कहना है कि सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी लगातार स्कैन कॉपी दिखाने से बच रही हैं।
रद्द हो सकती है भर्ती
शिक्षा विबाग के जानकरों का मानें तो इस भर्ती में जिस स्तर पर लापरवाही बरती गई है उससे तो साफ है कि आने वाले दिनों में पूरी प्रक्रिया पर ही रोक लगाई जा सकती है। हाईकोर्ट में अगर मामला पहुंचा तो पूरी भर्ती पर रोक लगने की बात से इनकार नहीं किया जा सकता।