scriptजब इस युवा महानायक को गोलियों से भून दिया था गोरों ने ,इलाहाबाद में दर्ज है क्रांति के इस नायक का बलिदान | Saheed Lal Padmadhar shot dead by the British in Allahabad | Patrika News

जब इस युवा महानायक को गोलियों से भून दिया था गोरों ने ,इलाहाबाद में दर्ज है क्रांति के इस नायक का बलिदान

locationप्रयागराजPublished: Aug 12, 2019 03:07:25 pm

-12 अगस्त 1942 क्रांति के युवा महानायक को गोलियों से भून दिया गया -महात्मा गाँधी के आह्वान पर भारत छोडो आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे -इलाहाबाद में दर्ज है भारत माँ के अमर शहीद लाल पद्मधर का बलिदान

इलाहाबाद | देश भर में आजादी का जश्न मनाने की तैयारी चल रही है। पुरे देश में राष्ट्रिय पर्व मनाने के लिए हर कोई इंतजार कर रहा है।आजादी के बाद पहली बार कश्मीर में तिरंगा लहराएगा। लेकिन इन सबके बीच आजादी के वो दीवाने जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी । आजादी के जंग की बात हो और इलाहाबाद का नाम लिए बिना इतिहास अधूरा रह जायेगा। आजादी की जंग कई ऐसे नाम है जिनका इतिहास हमें गौरव और सम्मान की अनुभुति कराता है । लेकिन कुछ ऐसे भी नाम शामिल है जिनके साथ इतिहास ने न्याय नही किया ।

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अंग्रेजों भारत छोड़ो
देश में जब भी युवाओं की बात होगी युवा क्रांति की बात होगी तो उसमें लाल पद्मधर का नाम सुनहरे अक्षरों और इतिहास के पन्नो में दर्ज होगा। देश के चिंतक और विवि के पूर्व अध्यक्ष रामाधीन सिंह कहते है की 12 अगस्त 1942 इलाहाबाद विश्वविद्यालय की गौरवशाली परम्परा को बिना याद भारत के छात्र जगत का इतिहास भी अर्थहीन होगा यदि उसमें लाल पद्मधर का अध्याय नही होगा ।1942 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में महात्मा गाँधी ने 8-9 अगस्त रात में अंग्रेजों भारत छोडो . का आ ह्वा न . बम्बई में किया । करो या मरो का नारा दिया । इस आह्वान के 17 वर्ष पहले भी 9 अगस्त 1925 को ही उत्तरप्रदेश के लखनऊ शहर के पास काकोरी काण्ड हो चुका था जिसमें अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खान राजेन्द्र लाहिरी और ठाकुर रोशन सिंह फांसी के फंदे को वरमाला की तरह गले लगा चुके थे।

महात्मा गाँधी के आह्वान पर
12 अगस्त 1942 की। महात्मा गांधी ने मुम्बई से भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा कर दी थी। मुम्बई दिल्ली पटना वाराणसी और फिर इलाहाबाद तक आंदोलन चिंगारी पहुंच चुकी थी अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा बुलंद हो रहा था। गांधी जी की अगुवाई में देश भर के युवा बढ़.चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे। उस आंदोलन में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के युवाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इलाहाबाद में आंदोलन की शुरुआत 11 अगस्त को हुई। अंग्रेजों के खिलाफ शहरभर में जुलूस निकाले गए और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हुए जिसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने मुख्य भूमिका निभाई।

अंग्रेज सिपाहियों ने छलनी कर दिया
विवि के छात्रों ने 12 अगस्त को कलेक्ट्रेट को अग्रेजों से मुक्त कराने और तिरंगा फहराने की योजना बनाई गई। लेकिन इसकी भनक अंग्रेजी हुकूमत को लगते ही कलेक्ट्रेट तक आने वाले रास्ते पर पुलिस तैनात कर दी गई। 12 अगस्त को 11 बजे इविवि के छात्रसंघ भवन से छात्र.छात्राओं का जुलूस तिरंगा लेकर कलेक्ट्रेट के लिए रवाना हुआ। इसका नेतृत्व इविवि की छात्राएं कर रही थीं। ब्रिटिश सैनिकों ने भीड़ को रोक लिया और वापस जाने की चेतावनी देते हुए छात्राओं पर बंदूक तान दी। इविवि की छात्र.छात्राएं वापस नहीं लौटी तो फिरंगी फौज ने हवाई फायरिंग कर दी। इससे भगदड़ मच गई। इस भीड़ में शामिल नौजवान लाल पद्मधर सिंह ने सामने आकर सिपाहियों को चुनौती दी लड़कियों पर क्या गोली तान रहे हो मेरे सीने पर गोली चलाओ। इसके बाद लाल पद्मधर तिरंगा हाथ में लेकर कलेक्ट्रेट की जोर बढ़े ही थे कि अंग्रेज सिपाहियों की गोली से उन्हें छलनी कर दिया।

रीवा के माधवगढ़ घराने से थे
विवि के उनके साथी उन्हें अस्पताल तक पहुंचाते उसके पहले ही भारत मां के लाल की सांसे थम गई। यह खबर फैलते ही पूरे शहर में कोहराम मच गया। और उसी दिन लाल शहीद लाल पद्मधर हो गये और भारत माँ के लिए अपनी आहुति दे दी। लेकिन इतिहास के पन्नो में उनके साथ न्याय नहीं हुआ । लाल पद्मधर सिंह मध्यप्रदेश के सतना.रीवा के माधवगढ़ घराने से थे। विवि के छात्र नेता अब तक छात्र संघ के गठित होने पर लाल पद्मधर की सौगंध खाते है । इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और स्थानीय विधायक अनुग्रह नारायण सिंह की आगुवाई में जिला कचहरी और विवि में उनकी आदमकद मूर्ति स्थापित की गई जहाँ आज भी युवा अपना शीश झुकाते है।

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