कुंभ के दौरान अरबों रूपये खर्च कर ख़ूबसूरती से सजाए और संवारे गए प्रयाग की सड़कों और गलियों के इस बारिश में डूबने का बड़ा ख़तरा है। निगम के मुताबिक़ शहर में तकरीबन सौ बड़े और ढाई सौ के करीब छोटे नाले हैं। आम दिनों में भी इनकी साफ़ -सफाई के कोई ख़ास इंतज़ाम नहीं होते हैं। कुंभ से पहले तमाम नालों को ढककर उन्हें अंडरग्राउंड कर दिया गया। जो नाले बचे हुए हैं, मानसून से पहले पंद्रह जून तक उन्हें साफ़ करने की योजना तैयार की गई। प्रयाग में ज़्यादा बारिश होने पर अक्सर तमाम मोहल्लों में पानी भर जाता है। कई इलाकों में तो बारिश व नालों से ओवरफ्लो होकर सड़कों व गलियों में बहने वाला पानी न सिर्फ घरों में घुस जाता है बल्कि कई बार तो नाव चलाने तक की नौबत आ जाती है। प्रयागराज को इन दिनों स्मार्ट सिटी के तौर पर विकसित किया जा रहा है। इसके बावजूद नालों की सफाई का काम कागजी ज्यादा साबित हो रहा है। कागजों पर तो अब तक अस्सी फीसदी से ज़्यादा काम पूरा भी हो चुका है, लेकिन सब कुछ सिर्फ दावा है। सलोरी , दारागंज अल्लापुर जहाँ सबसे ज्यादा पानी बढने की संभावना होती है वहां के लोगों की माने तो सालों से नाले की सफाई नहीं हुई है।
वहीं इस बारे में नगर आयुक्त डॉ उज्जवल कुमार का कहना है कि अस्सी फीसदी नालों की सफाई हो चुकी है। लेकिन लोग उनमें फिर से कचरा डालकर उन्हें दोबारा गंदा कर रहे हैं। अपने कर्मचारियों की ज़िम्मेदारी तय करने के बजाय वह आम लोगों नसीहत दे रहे हैं। लापरवाह अफसरों ने शहर को बारिश में डुबाने की तैयारी पूरी कर ली है। नगर आयुक्त का दावा है कि नालों की सफाई के लिए एक हजार से ज़्यादा स्टाफ की ड्यूटी लगाई गई है। आउटसोर्सिंग पर चार सौ से ज़्यादा अतिरिक्त स्टाफ रखे गए। रूटीन सफाई से अलग हटकर सिल्ट हटाने व कचरा निकालने के लिए तकरीबन ढाई करोड़ रूपये का बजट तैयार किया गया। उन्होंने दावा किया है कि बारिश से पहले पंद्रह जून तक हर हाल में नालों की सफाई का काम पूरा कर लिया जायेगा।