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प्रयागराज

प्रयागराज डायरी : नगर देवता और कोतवाल भी घरों में कैद, भक्तों की प्रार्थना खत्म हो महामारी

-संगम नगरी में भी स्नानार्थियों की भीड़ नहीं-न्याय के देवता की चौखट बंद, पूरब के ऑक्सफोर्ड में वीरानी-साहित्यकारों की अपील-घरों में कैद रहें-मौत मजहब देखकर नहीं आती

प्रयागराजApr 03, 2020 / 07:38 pm

प्रसून पांडे

Special Story Corona Virus Lockdon Prayagraj U.P.

प्रयागराज डायरी : नगर देवता और कोतवाल भी घरों में कैद, भक्तों की प्रार्थना खत्म हो महामारी

प्रसून पांडे
प्रयागराज | प्राय: लाखों की भीड़ से पटी संगम नगरी में इन दिनों में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते सन्नाटा है। नगर देवता भगवान वेणीमाधव का गर्भगृह बंद है। त्रिवेणी तट पर विराजमान नगर कोतवाल बड़े हनुमान मंदिर की आरती भी बंद कपाट के अंदर हो रही है। हर रोज यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं। लेकिन अब वे सभी अपने घरों में कैद होकर अपने आराध्य का स्मरण कर महामारी के अंत की प्रार्थना कर रहे हैं। पुराने शहर की मस्जिदों से अजान और नमाज की आवाज सुबह-शाम कानों में गूंजती है लेकिन एक दूसरे को सलाम करने वाले लोग नदारद हैं।


मंदिर-मठ में ठहरे विदेशी सलामत
गंगा-जमुनी तहजीब की विरासत के शहर प्रयागराज में गली-मोहल्ले में कम्युनिटी किचन खुले हैं। गरीबों को भोजन और राहत पहुंच रही है। मंदिरों और मठों में कुछ विदेशी भी ठहरे हैं। सभी के बहुत पहले जांच हो चुकी है। सभी सलामत हैं। किसी को कोई संक्रमण नहीं। कहीं कोई हो हल्ला नहीं। कोई अफरातफरी नहीं


न्याय के देवता की भी चौखट बंद
एशिया का सबसे बड़ा न्याय का मंदिर इलाहाबाद हाईकोर्ट भी वीरान पड़ा है। महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई घर से हो रही है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से न्याय देने की व्यवस्था की गयी है। जहां कभी देश-प्रदेश के हजारों लोग अदालत की चौखट पर न्याय के लिए पहुंचते थे उनके आने पर मनाही है।


पूरब के ऑक्सफोर्ड में वीरानी
पूरब के ऑक्सफोर्ड (इलाहाबाद विश्विद्यालय) हमेशा युवाओं से गुलजार रहता है। लेकिन अब यहां के हॉस्टलों में वीरानी है। विश्वविद्यालय में तमाम गतिविधियों पर ग्रहण लग गया है। नए कुलपति की बाट जोह रहे छात्र और शिक्षक घरों में बन्द हंै। विशाल वटवृक्ष की छांव में उबासी ले रहे कैंपस को फिर गुलजार होने का इंतज़ार है। राजनीति की नर्सरी कहे जाने वाले छात्रसंघ भवन में सन्नाटा है। चाय की चुस्कियों के साथ उत्तर प्रदेश से लेकर अमेरिका तक की सियासी लड़ाइयों पर चर्चा करने वाले इस कैम्पस ने कोरोना से जीत-हार का फैसला प्रकृति पर छोड़ दिया है। बैंक रोड से मनमोहन पार्क तक छात्रों का रेला झेलने वाली सडक़ें पतझड़ के पत्तों और धूल से पटी हैं। सलोरी, अल्लापुर, बघाड़ा, गोविंदपुर,कटरा, मेंहदौरी, दारागंज जैसे इलाकों में कमरों में ताले लटके हैं। इविवि के छात्रनेता रहे एडवोकेट डॉ. रजनीश राय कहते हैं, इस वीरानी को देखकर दिल रोता है।


लक्ष्मण रेखा नहीं लांघ सकते
शहर का सबसे वीआईपी सिविल लाइन इलाके में सिर्फ पुलिस और कुछ पत्रकारों की आवाजाही है। कॉफी हाउस बंद है। नेहरू परिवार का पैतृक आवास आनंद भवन बंद है। शहर के वरिष्ठ साहित्यकार यश मालवीय कहते हैं इतना आराम सालों बाद मिला। लेकिन बिना चौराहे की चाय के दिमाग काम नहीं कर रहा। क्या करें लक्ष्मण रेखा नहीं लांघ सकते। घरों में कैद रहो मुहब्बत और मौत मजहब देखकर नहीं आती हिंदी के आलोचक डॉ. राजेंद्र कुमार कहते हैं सवाल जिंदगी का है। वे अपजी करते हैं कि घरों में कैद रहो क्योंकि मुहब्बत की तरह मौत भी कोई मजहब देख कर नहीं आती है।

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