इसको लेकर इलाहाबाद में टीईटी अभ्यर्थियों ने कई बार प्रदर्शन भी किया था। पत्रिका से बातचीत में टीईटी अभ्यर्थी संघ के पदाधिकारी अनुज पांडेय ने इस फैसले को स्वागतयोग्य बताया है। लेकिन साथ ही उन्होने आयोग की ऐसी खामियों और विशेषज्ञों को लेकर भी सवाल खड़ा किया। इनका कहना था कि जो आयोग ठीक से विशेषज्ञों का चयन नहीं कर पा रहा है उसे खुद की गरिमा के बारे में सोचना चाहिए।
बतादें कि तीन बार उत्तरकुंजिका में संसोधन किये जाने के बाद भी दो प्रश्न और उसके उत्तर को लेकर विवाद चलता रहा। 15 दिसंबर को परीक्षा परिणा जारी किये जाने के बाद भी छात्र दो प्रश्नों को लेकर नाराजगी जता रहे थे। मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो इस पर एकल बेंच के जस्टिस राजेश सिंह चौहान ने टीईटी के 14 सवालों की जांच करने के लिए सरकार से कहा था।
राज्य सरकार ने इस निर्णय के कुछ निर्देशों के खिलाफ हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष अपील किया। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम
नाथ और जस्टिस अब्दुल मोईन ने सरकारी की अपील को आंशिक रूप से मंजूर कर लिया है। जिसके बाद से ही ये माना जा रहा है कि पूर्वांचल समेत पूरे प्रदेश के हजारों छात्रों को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है।
क्या है पूरा मामला बतादें कि उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा 2017 में दो और प्रश्नों को लेकर भी विवाद हो गया था। पहले तो 18 अक्तूबर को उत्तरकुंजी जारी कर अभ्यर्थियों से 23 अक्तूबर तक साक्ष्यों के साथ ऑनलाइन आपत्तियां मांगी गई थी। इसके बाद छह नवम्बर को पहली बार संशोधित उत्तरमाला जारी की गई। विशेष विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर प्राथमिक स्तर के दो प्रश्नों के सभी विकल्प गलत होने पर उन्हें हल करने वाले अभ्यर्थियों को एक-एक नंबर देने का निर्णय लिया गया। जबकि उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा के चार प्रश्नों के उत्तर में संशोधन हुआ जिनमें हिन्दी के दो, संस्कृत एवं सामाजिक अध्ययन के एक-एक प्रश्न थे। लेकिन बुकलेट सिरीज ए के 84 व 150 प्रश्नसंख्या में संशोधन नहीं हुआ।परीक्षा नियामक प्राधिकारी के निर्णय से असंतुष्ट अभ्यर्थियों ने इन दो प्रश्नों के उत्तर को चुनौती दी थी। हालांकि अब सरकार की अपील को आंशिक मंजूरी मिलने के बाद लोगों को बड़ा लाभ मिल सकता है।
5 अक्टूबर को आयोजित की गई थी परीक्षा बतादें कि 15 अक्तूबर को यूपी टीईटी 2017 की परीक्षा आयोजित की गई थी। इसका परिणाम तो पहले 30 नवम्बर तक घोषित किया जाना था लेकिन विवाद और याचिकाओं के कारण रिजल्ट फंस गया। 18 अक्तूबर को उत्तरकुंजी जारी कर अभ्यर्थियों से 23 अक्तूबर तक साक्ष्यों के साथ ऑनलाइन आपत्तियां मंगाई गईं। जिसमें भारी कई आपत्तियां सामनें आईं। इसके बाद छह नवम्बर को पहली बार संशोधित उत्तरमाला जारी की गई। लेकिन उसमें भी दो प्रश्नों को लेकर विवाद रह गया। इस बीच 15 दिसंबर को परिणाम घोषित कर दिया गया था।