दानदाताओं ने करवाया था पैर का ऑपरेशन
मृतका को कुछ माह पहले पैर के घुटने में परेशानी हुई थी। जिसका ऑपरेशन दानदाताओं के सहयोग से निजी अस्पताल में करवाया गया था। बालिका तभी से कुछ बीमार चल रही थी। अस्पताल के रिकार्ड के अनुसार बालिका के पैर में टीबी का इलाज भी चला था।
परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
शव को लेने आए परिजन बलवंत ने बताया कि बालिका के माता पिता के बाद नाना नानी की भी मौत हो चुकी है। बाद में उन्हें बालिका गृह में रखा गया। उन्होंने बताया कि कोरोना से पहले बालिकाओं से मिलने आते रहे, लेकिन पिछले दो साल से मिलने नहीं आ पाए। उन्होंनेआरोप लगाया कि बालिका की मौत की सूचना उन्हें देरी से दी गई। बालिका के इलाज के बारे में भी उन्हें नहीं बताया गया।
रात को ही अस्पताल लेकर आए
तबीयत खराब होने पर बालिका को रात को ढाई बजे बालिका गृह से तुरंत हास्पिटल लेकर आए थे, उस समय यही पहली प्राथमिकता थी। यह बालिका गृह राजस्थान के आदर्श होम में आता है, यहां आज तक कोई शिकायत नहीं आई है। सेटेलाइट अस्पताल की टीम प्रति सप्ताह बालिका गृह में जांच करती है। बच्चे के इलाज में कोई लापरवाही नहीं हुई है।
चेतराम सैनी, संचालक, बालिका गृह
बालिका की रात को तबीयत खराब हुई थी, सूचना मिलते ही हम अस्पताल पहुंच गए। अज्ञात कारणों से मौत होने की बात है। बालिका का पोस्टमार्टम करवाया है। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चलेगा।
रामनिवास यादव, सहायक निदेशक, बाल अधिकारिता विभाग, अलवर।