रेलवे स्टेशन स्कूल के बाद अलवर में बना इंद्रविमान स्कूल, हवाई जहाज में बैठकर सपनों की उड़ान भर रहे बच्चे
अलवर. अलवर जिला मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर इन्दरगढ़ के सरकारी स्कूल के विधार्थी हवाई जहाज में बैठकर स्मार्ट बनेंगे। इस सरकारी स्कूल में एजुकेशन एयर लाइंस के नाम से हवाई जहाज तैयार किया गया है जिसे पूरी तरह हवाई जहाज का रूप दिया है। इसका बाहरी व भीतरी स्वरूप भी हवाई जहाज की तरह दिया गया है। इसके भीतरी भाग में स्मार्ट क्लासेज चलाई जाएंगी जिसमें एक बार में 50 विद्यार्थी पढ़ सकेंगे। यह अपनी तरह का देश का पहला नवाचार है।
राजकीय आदर्श सीनियर माध्यमिक विद्यालय में बने इस हवाई जहाज नुमा कक्षा-कक्ष का नाम इन्द्र विमान रखा गया है। इसमें हवाई जहाज की तरह सीटें लगाई गई हैं और एलईडी व प्रोजेक्टर लगाया गया है । इसमें प्रत्येक कक्षा के विधार्थी बारी-बारी से पढऩे के लिए आएंगे। इसमें भीतर बैठकर हवाई जहाज में बैठने जैसा महसूस किया जा सकता है।इसमें बच्चों को इंटरनेट के माध्यम से उपयोगी जानकारी दी जाने लगी है। यह हवाई जहाज नुमा कक्षा-कक्ष जमीन से 7 फिट ऊपर पिलर्स पर बना हुआ है। इसमें नीचे पक्का फर्श, चारो ंतरफ घास का मैदान और कक्षा कक्षा में ऊपर पहुंचने के लिए पाथ -वे बनाया गया है। इसमें पिलर्स के नीचे हवाई जहाज के पहिए दिखाए गए हैं। इस विमान में चढऩे के लिए सीढिय़ों के साथ दोनों तरफ दरवाजे हैं। इसे अंदर व बाहर से पूरी तरह हवाई जहाज का कलर व डिजाइन दिया गया है जिस पर एजुकेशन एयरलाइन लिखा गया है। इस पर चढ़ते हुए हवाई जहाज पर चढऩे का अहसास होता है।
विमान के इस मॉडल की रूपरेखा समग्र शिक्षा अभियान के इंजीनियर राजेश लवानिया ने तैयार की है जिन्होंने पिछले दिनों अलवर शहर के रेलवे स्टेशन स्कूल का लुक ट्रेन की तरह दिया था। यह स्कूल अब सेल्फी प्वाइंट बन गया है। इसी प्रकार इस विमान में भी लोग सेल्फी लेने दूर-दूर से आने लगे हैं।
अभी से सेल्फी प्वाइंट बना शादियों के इस माहौल में दूल्हा-दुल्हन भी फोटो खींचवाने के लिए आ रहे हैं। हवाई जहाज के इस मॉडल का खर्चा समाजसेवी संस्था सहगल फाउंडेशन ने उठाया है। इसके चारों तरफ लगे संकेताक पर यहां से प्रमुख स्थलों की दूरी दर्शायी गई है। विद्यालय पर फाउंडेशन ने अब तक 45 लाख रुपए खर्च किए हैं। प्रधानाचार्या पुष्पा मीना ने बताया कि स्कूल का यह बदला स्वरूप बच्चों को खूब भा रहा है। सहगल फाउंडेशन के महिपाल सिंह का कहना है कि इसको बनने में करीब 6 माह लगे हैं ओर इसको बनाने में इंजीनियर राजेश लवानिया ने रात दिन एक कर दिया है जिसका यह सकारात्मक परिणाम सामने आया है।
सपने से कम नहीं हमारा स्कूल इस स्कूल की छात्राएं कंचन, प्रियंका व अंजू कहती हैं कि पिछले साल तक तो यह स्कूल बिल्कुल क्षतिग्रस्त है लेकिन अब तो लगता है कि यह हम कहा आ गए हैं जैसे सपना देख रहे हो।
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