अलवर शहर के मनुमार्ग पर रहने वाले एक रेडिमेड व्यवसायी को कोरोना हुआ तो 20 दिन पहले जयपुर के एक गैर सरकारी अस्पताल में भर्ती किया। इन्हें वहां शुरू से ही अस्पताल में आक्सीजन दी गई। पैतालिस वर्षीय इस व्यवसायी को प्लाजमा तक चढ़ाया गया। बीस दिनों तक अस्पताल में इनसे मिलने की बात तो दूर बाहर तक नहीं खड़े होने दिया। इस व्यवसायी की 18 वर्षीय बेटी बार-बार कहती रही कि मुझे मेरे पापा से मिलना है लेकिन उसकी यह चाहत पूरी नहीं की जा सकी। जयपुर में इसकी मौत के बाद छोटे भाई ने पीपीई किट पहनकर भाई का दाह संस्कार किया।
वीर चौक होपसर्कस के रेडिमेड कपड़ों के व्यवसायी में 20 दिन पहले ही कोरोना के लक्षण मिलते ही तत्काल परिजन उसे जयपुर ले गए, जहां एक प्राइवेट अस्पताल में उस पर लाखों रुपए खर्च हुए। मरीज को अस्पताल में क्या खिलाया गया और उसकी कैसे देखभाल की गई जिसको किसी परिजन को नहीं दिखाया गया। यही तक कि परिवार के किसी भी सदस्य को मिलने की बात तो दूर, उन्हें अस्पताल के पास भी रुकने नहीं दिया।
मृतक की 18 वर्ष की बेटी और एक 6 साल का बेटा है। बेटे को अभी तक नहीं पता है कि उसके पिता इस दुनिया में नहीं रहे हैं। गुरुवार को परिवार के सदस्य जयपुर के श्मशान घाट गए जहां एक डिब्बे में डालकर शव की राख दे दी गई।
इसे मामूली बीमारी मत समझिए, एक प्रतिशत में हम आ गए- मृतक के परिजनों ने बताया कि यह सही है कि इसमें एक प्रतिशत मौत की दर है लेकिन इस एक प्रतिशत मेंं हम आ गए। हमारी तो दुनिया ही उजड़ गई। कोरोना किसी भी घर की दुनिया को वीरान कर सकता है। प्लीज, आप इससे बचाव करके चले। यह ना हो इस एक प्रतिशत में आपका परिवार ही आ जाए।