परेशानी का पैमाना शहर में प्रतिदिन 500 लाख लीटर पानी दे रहे है। आने वाले 15 सालों में यह दोगुनी हो जाएगी। शहर की साढ़े चार लाख की आबादी तक नहीं पहुंचा पा रही सरकार पानी।
जिला मुख्यालय पर साढ़े चार लाख की आबादी टैंकरों के भरोसे ही रहती है। सरकार यह करे चम्बल से अलवर तक पानी लाने के लिए पेयजल योजना पर जल्द काम शुरू हो।
चम्बल से जिले में पानी लाने की योजना को जल्द मंजूरी मिले और बजट का प्रावधान हो। जिले में चम्बल से पानी लाने के लिए करीब पांच हजार करोड़ राशि जल्द मंजूर करना जरूरी।
यहां से सीखें कोटा में नियमित पेयजल सप्लाई दी जा रही है। वहां चम्बल नदी होने के पानी की समस्या नहीं है। इस कारण घरों में पानी स्टोरेज के संसाधन की जरूरत नहीं। यदि चम्बल का पानी यहां भी आए तो समस्या से निजात मिल सकती है।
जनप्रतिनिधि पेयजल सबसे जरूरी मूलभूत सुविधा है। इसका ब्लू प्रिंट बनाने की जरूरत है, जिसमें यह पता लगे कि कहां और किस तरह पेयजल पहुंचाना बेहद जरूरी है। आबादी बसती जाती है, लेकिन पेयजल के संसाधन ही नहीं होते।
डॉ. करणसिंह यादव, सांसद अलवर
जिले में 40 लाख से ज्यादा आबादी है। पूरे जिलें में गर्मी के दौरान पानी का संकट रहता है। इसलिए चम्बल के पानी की योजना को मूर्तरूप देना बेहद जरूरी है। इस पर मिलकर काम करेंगे।
टीकाराम जूली, विधायक