जिले में मरीजों को रियायती दरों पर महत्वपूर्ण जांच सुविधा उपलब्ध कराने के लिए करीब सवा साल पहले सामान्य अस्पताल में आरएमआरएस के माध्यम से पीपीपी मोड पर 30 विशिष्ट जांच सुविधाएं शुरू की गई। इसका टेण्डर निजी लैब को दिया गया। टेण्डर अवधि समाप्त होने के कारण करीब ढाई माह से ये सभी जांचें बंद पड़ी हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से अब न तो उक्त टेण्डर को रिन्यू किया जा रहा और न ही किसी अन्य लैब को दिया जा रहा है। जिसके कारण मरीजों को शारीरिक और आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है।
ये महत्वपूर्ण जांच सुविधाएं बंद सामान्य अस्पताल में कई ऐसी महत्वपूर्ण जांच सुविधाएं उपलब्ध थी जो गंभीर मरीजों के लिए बेहद जरुरी है, लेकिन अब मरीजों को यह सुविधा नहीं मिल पा रही है। यहां मरीजों की इको कॉर्डियोग्राफी, एबीजी (आरटीएल ब्लड गैस), ट्रोप आई, ओपीजी, बी-स्केन सहित कई महत्वपूर्ण जांचें हैं। जिनका सरकारी अस्तपाल में रियायती दरों पर लाभ नहीं मिल पा रहा है।
चार से दस गुणा रेट अधिक अलवर सामान्य अस्पताल में एसएमएस अस्पताल से भी सस्ती रियायती दरों पर जांच सुविधा शुरू की गई थी। यहां जांच सुविधा बंद होने से मरीज को बाहर प्राइवेट लैब में इन जांचों के लिए चार से दस गुणा अधिक रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। उदाहरण के तौर पर सरकारी अस्पताल की लैब में एफएनएसी जांच 60 रुपए में होती थी, जबकि प्राइवेट लैब में यह जांच 500 रुपए में होती है। इसी प्रकारण सरकारी अस्पताल में इको कॉर्डियोग्राफी के लिए 475 रुपए दर निर्धारित की गई, जबकि प्राइवेट लैब में यह जांच 1200 रुपए में की जा रही है।
जांच नि:शुल्क, लेकिन भाड़ा मार रहा सामान्य अस्पताल में हालांकि कुछ नि:शुल्क जांचें की जा रही है। सेम्पल अस्पताल में लेकर जांच के लिए भरतपुर की एक लैब में भेजे जा रहे हैं। जिनकी रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन लग जाते हैं। ऐसे में ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों को रिपोर्ट के लिए बार-बार अस्पताल आकर अधिक किराया-भाड़ा खर्च करना पड़ रहा है। वहीं, इन जांचों की रिपोर्ट पर भी कई बार सवाल खड़े हो चुके हैं।
मरीज की जान भी जा सकती है इन 30 विशिष्ट जांचों में कई अति महत्वपूर्ण जांचें हैं। जिनके अभाव में मरीज की जान भी जा सकती है। जिसमें हृदय की सोनोग्राफी (इको कॉर्डियोग्राफी), एबीजी (आरटीएल ब्लड गैस) जांच जो कि वेंटीलेटर के मरीजों की हर दो घंटे में करनी होती है। हृदयघात व सामान्य दिल के दर्द का पता लगाने के लिए मरीज का ट्रोप आई टेस्ट होता है। उक्त जांच नहीं होने पर यह पता नहीं लग पाता है कि मरीज को हार्ट अटैक आया है या फिर सामान्य दर्द है। ऐसे में हार्ट अटैक को सामान्य दर्द समझकर उपचार देने से मरीज की जान भी जा सकती है। इसके अलावा दुर्घटना में गंभीर घायल मरीजों के जबड़े का एक्स-रे के लिए ओपीजी व आंखों की जांच के लिए बी-स्केन टेस्ट नहीं हो पा रहा है।