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अलवर में खनिज सम्पदा के अकूत भंडार, दोहन की सही नीति का इंतजार

अवैध खनन के चलते बदनामी का दंश झेल रहे अलवर जिले की जमीन में सोना उगलने वाली खनिज सम्पदा के अकूत भंडार है। लेकिन दोहन की सही नीति के अभाव में यह अकूत खनिज सम्पदा न तो पूरी तरह सरकार का खजाना भर सकी और न जिले के विकास व युवाओं को रोजगार की राह खोलने की भागीदार बन पाई।

अलवरSep 20, 2021 / 12:46 am

Prem Pathak

अलवर में खनिज सम्पदा के अकूत भंडार, दोहन की सही नीति का इंतजार

अलवर में खनिज सम्पदा के अकूत भंडार, दोहन की सही नीति का इंतजार

अलवर. अवैध खनन के चलते बदनामी का दंश झेल रहे अलवर जिले की जमीन में सोना उगलने वाली खनिज सम्पदा के अकूत भंडार है। लेकिन दोहन की सही नीति के अभाव में यह अकूत खनिज सम्पदा न तो पूरी तरह सरकार का खजाना भर सकी और न जिले के विकास व युवाओं को रोजगार की राह खोलने की भागीदार बन पाई।
खनिज सम्पदा के मामले में अलवर जिला प्रदेश के अन्य जिलों से काफी आगे हैं। पूर्व में यहां हुए सर्वेक्षण में सोना, तांबा, जस्ता जैसी बहुमूल्य खनिज सम्पदा का पता चला है। जबकि अलवर जिले में प्रचुर मात्रा में मौजूद मार्बल सरकार का खजाना भरने के लिए काफी है। यही कारण है कि प्रदेश को खनिज सम्पदा से राजस्व देने में अलवर जिला अग्रणी रहा है।जिले में खनन की यह स्थिति
अलवर जिले में विभिन्न खनिज सम्पदा की 317 खाने हैं, इनमें से वर्तमान में 185 में खनिज सम्पदा का उत्पादन हो रहा है। इनमें मार्बल की 35 खान, मैसनरी स्टोर की 150, ग्रेनाइट की 3, सिलिका की 2 खान वर्तमान में चालू हैं, शेष में विभिन्न कारणों से फिलहाल उत्पादन बंद है।
साबुन, सर्फ व कांच उत्पादन में रहती है मांग
जिले की खनिज सम्पदा की मांग विकास कार्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हर घर की जरूरत को भी यह पूरी करती रही है। इनमें मार्बल का उपयोग साबुन, सर्फ, पावडर, पेस्ट सहित अन्य उत्पाद तैयार करने में होता है। वहीं सिलिका कांच के उत्पादन का महत्वपूर्ण रॉ मैटेरियल है। स्टोन मैसनरी का उपयोग भारतमाला जैसे बहुमुखी प्रोजेक्ट से लेकर अन्य विकास के कार्यों में होता है। इसके अलावा मार्बल, ग्रेनाइट आदि का उपयोग भी निर्माण कार्यों में खूब होता रहा है।
जमीन में बहुमूल्य धातु, दोहन की जरूरत

अलवर की धरती में सोना, तांबा, जस्ता सहित कई अन्य बहुमूल्य धातुएं हैं। खनिज विभाग ओर से पूर्व में कराए गए सर्वे की रिपोर्ट में यह खनिज सम्पदा शामिल भी है, लेकिन सरकार की ओर से इनके दोहन की अनुमति नहीं दी गई है। इस कारण जिले में अभी सोना, तांबा, जस्ता आदि बहुमूल्य खनिज सम्पदा का दोहन नहीं हो पा रहा है।
पहले तांबा भर चुका सरकार का खजाना
खनिज सम्पदा तांबा पूर्व में राज्य सरकार का खजाना भर चुका है। पूर्व में अलवर जिले के खोह दरीबा में तांबे का बड़े पैमाने पर दोहन किया जा चुका है। इससे मिले राजस्व से राज्य की आय बढ़ाने में महती भूमिका निभाई। वर्तमान में खोह दरीबा कॉपर प्रोजेक्ट सरकार की ओर से बंद कर दिया गया है।
प्रदेश की आय में देता है बड़ा हिस्सा

खनिज सम्पदा के दोहन से अलवर जिला प्रदेश की आय में बड़ा हिस्सा देता रहा है। जिले के खनिज विभाग की ओर से हल साल राज्य सरकार को 75 करोड़ से ज्यादा का राजस्व दिया जाता है। कोरोना की पहली लहर में लॉक डाउन के दौरान भी अलवर के खनिज विभाग ने करीब 10 करोड़ रुपए का राजस्व दिया। इसी तहर दूसरी लहर में भी करोड़ो का राजस्व दिया। सरकार की ओर से सोना, तांबा आदि खनिज सम्पदा की अनुमति दी जाए तो राजस्व का यह आंकड़ा कई सौ करोड़ तक पहुंच सकता है।
जिले में खनिज सम्पदा की कमी नहीं
अलवर जिले में बहुमूल्य खनिज सम्पदा की कमी नहीं है। जिले एवं प्रदेश के विकास में अलवर जिले की खनिज सम्पदा महती भूमिका निभाती रही है।

केसी गोयल
खनि अभियंता, अलवर

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