राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से अलवर जिले में हरियाणा के पनियाला मोड से बडोदामेव तक करीब 86 किलोमीटर लम्बा नेशनल हाइवे को स्वीकृत हुए करीब 10 महीने का समय बीत गया, अब जमीन अवाप्ति प्रक्रिया का प्रथम चरण पूरा हो चुका है। अब प्रशासन की ओर से किसानों की जन सुनवाई की जाएगी। इसमें प्राप्त होने वाली किसानों की आपत्ति का निराकरण करने के बाद अवाप्त की जाने वाली जमीन का राज्य सरकार की ओर से अवार्ड जारी किया जाएगा। इसके बाद किसानों को अवाप्त जमीन के मुआवजे का वितरण किया जा सकेगा। भूमि का अधिग्रहण होने के बाद हाइवे का निर्माण कार्य शुरू हो सकेगा।
56 गांवों में जमीन होगी अवाप्त पनियाला मोड से बडोदामेव तक नेशनल हाइवे 148 बी निर्माण के लिए अलवर जिले में 1748 हैक्टेयर भूमि अवाप्त करने की जरूरत होगी। अलवर में इसकी लंबाई करीब 86 किलोमीटर है, जिसके लिए 56 गांव की जमीन अवाप्त की जानी है। इस प्रक्रिया का पहला चरण पूरा हो चुका है। इस हाइवे में कोटपूतली के दो, बानसूर के 14, मुंडावर के 9, अलवर के 18, किशनगढ़बास के दो, रामगढ़ के 9 व लक्ष्मणगढ़ के 2 गांव की जमीन शामिल होगी।
विकास को लगेगे पंख, रोजगार के साधन बढ़ेंगे जिले में नए नेशनल हाइवे निर्माण से बानसूर, मुण्डावर, किशनगढ़बास, अलवर, रामगढ़, लक्ष्मणगढ़ आदि क्षेत्रों में विकास को पंख लग सकेंगे।
नेशनल हाइवे के लिए जमीन अधिग्रहण होने से किसानों के हाथ में पैसा आएगा, जिससे वे व्यवसाय आदि कर सकेंगे। साथ ही नेशनल हाइवे के पास नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित होंगे। यह हाइवे जिन क्षेत्रों से होकर गुजरेगा, वहां अभी औद्योगिक गतिविधियां कम है। नेशनल हाइवे निर्माण से आसपास के क्षेत्रों में जमीन के दाम बढऩा तय है। इसका असर भी वहां के विकास पर सीधा पड़ेगा।
रोजगार के संसाधन भी बढ़ेंगे नेशनल हाइवे निर्माण से स्थानीय लोगों को छोटे- बड़े रोजगार के संसाधन मिल सकेंगे। हाइवे के पास होटल, ढाबे, चाय पान के रेस्ट्रां सहित अनेक व्यावसायिक व औद्योगिक गतिविधियां शुरू होने की उम्मीद है। इसके अलावा नेशनल हाइवे निर्माण का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि जिले का ज्यादातर भागों का महानगरों से सीधा जुड़ाव हो सकेगा। दिल्ली, जयपुर, गुजरात, महाराष्ट्र के बड़े व्यावसायिक शहरों से अलवर जिले का जुड़ाव हो जाएगा।