scriptजानिए दस हजार करोड़ की सरकारी जमीन कैसे बची | alwar letest news | Patrika News
अलवर

जानिए दस हजार करोड़ की सरकारी जमीन कैसे बची

अलवर. प्रशासन गांवों के संग अभियान- 2021 के दौरान नियमों की अवलेहना कर राजगढ़ उपखंड के टहला क्षेत्र में सरिस्का के आसपास करीब 25 सौ बीघा सरकारी जमीन की बंदरबाट के 803 प्रकरणों को निरस्त कर दिया।

अलवरMar 31, 2023 / 12:14 am

Prem Pathak

जानिए दस हजार करोड़ की सरकारी जमीन कैसे बची

जानिए दस हजार करोड़ की सरकारी जमीन कैसे बची



अलवर. प्रशासन गांवों के संग अभियान- 2021 के दौरान नियमों की अवलेहना कर राजगढ़ उपखंड के टहला क्षेत्र में सरिस्का के आसपास करीब 25 सौ बीघा सरकारी जमीन की बंदरबाट के 803 प्रकरणों को निरस्त कर दिया। इस भूमि की बाजार दर करीब 10 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। इस प्रकरण में अभी एसओजी और एसीबी की ओर से इस मामले में दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का इंतजार है।
प्रशासन गांवों के संग अभियान में राजगढ़ उपखंड के टहला क्षेत्र में करीब 2500 बीघा सरकारी जमीन का नियम विरुद्ध आवंटन कर दिया। गलत तरीके से आवंटित भूमि प्रकरणों की जिला कलक्टर से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत हुई, जिस पर जिला कलक्टर ने अतिरिक्त जिला कलक्टर द्वितीय की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर सरकारी जमीन आवंटन के सभी 803 प्रकरणों की जांच करने के निर्देश दिए। जांच रिपोर्ट के आधार पर की ओर से स्वप्रेरणा से आवंटन निरस्ती के नियमानुसार प्रकरण तैयार न्यायालय जिला कलक्टर अलवर, न्यायालय अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रथम एवं न्यायालय अतिरिक्त जिला कलक्टर द्वितीय के यहां 803 प्रकरण आवंटन निरस्ती के लिए दर्ज कराए गए। इन 803 प्रकरणों में सम्बिन्धत न्यायालय की ओर से विधिवत नोटिस जारी कर आवंटियों को सुनवाई का अवसर दिया और सभी आवंटनों को नियम विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिए गए।
क्षेत्रीय लोगों ने की शिकायत

जांच कमेटी ने आवंटित भूमि पर कब्जेधारियों से मिली करीब 200 शिकायतों की जांच में पाया कि बहुत सी भूमि पर जो आवंटन शिविरों में आवंटित की गई, उस पर अन्य व्यक्तियों का कई सालाें से कब्जा काश्त है। दूसरों की कब्जाशुदा भूमि को आंख बंद कर दूसरे लोगों को आवंटित किया गया।
नदी, नाले की जमीन भी नहीं छोड़ी

भूमि आवंटन में नियमों की पालना नहीं कर प्रतिबंधित गैर मुमकिन पहाड़, नाला आदि का आवंटन कर दिया गया। इतना ही नहीं आवेदनों पर दिनांक व समय अंकित नहीं होने के बाद भी अनाधिवासित भूमि एवं जन उपयोगी प्रयोजन भूमि की जरूरत के मापदंडों की पालना नहीं की गई। वहीं आवेदक के आवंटन की पात्रता की न तो जांच की गई और न ही तहसील रेकॉर्ड व वार्षिक रजिस्टर से तथ्यों का मिलान किया गया। साथ ही आवेदक के भूमिहीन होने के तथ्यों की जांच भी नहीं हुई। इस कारण अपात्र लोगों को भी भूमि का आंवटन हुआ। इसके अलावा आवंटन सलाहकार समिति की बैठक के लिए एक सप्ताह का नोटिस दिए जाने के नियम की पालना भी नहीं की गई। वहीं बैठक के नोटिस की तामील कराने की चिंता भी नहीं की गई।
विभिन्न विभागों की मौका रिपोर्ट भी नहीं ली


भूमि आवंटन के दौरान पटवारी हल्का, भू अभिलेख निरीक्षक की मौका रिपोर्ट, कमांड क्षेत्र में भूमि के लिए जल संसाधन की रिपोर्ट, वन अधिनियम से प्रतिबंधित भूमि लिए वन विभाग की रिपोर्ट एवं माइनिंग लीज क्षेत्र की भूमि की पहचान के लिए खनिज विभाग की राय भी नहीं ली गई।
बड़ा खेल करने वाले अधिकारी पर आंच तक नहीं


सरकारी जमीन के आवंटन में अनियमितता बरतने वाले पटवारी, कानूनगो आदि कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई, लेकिन करीब 10 हजार करोड़ की सरकारी जमीन को खुर्द बुर्द करने वाले बड़े अधिकारियों पर आंच तक नहीं आई।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो