2014 में भंवर जितेन्द्र सिंह को महंत चांदनाथ ने हराया था 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर तत्कालीन अलवर रियासत के पूर्व महाराजा तेज सिंह के पौत्र भंवर जितेन्द्र सिंह को ही उम्मीदवार बनाया था। उनके मुकाबले के लिए भाजपा ने अस्थल बोहल मठ के महंत चांदनाथ को टिकट देकर मैदान मे उतारा था। इस मुकाबले में महंत चांदनाथ ने भंवर जितेन्द्र सिंह को दो लाख 83 हजार 278 मतों से हराया। महंत चांदनाथ का लोकसभा कार्यकाल पूरा करने से पहले ही बीमारी से निधन हो गया।
बसपा के इमरान खान ने बढ़ाई जितेंद्र सिंह की परेशानी भंवर जितेंद्र सिंह की इस चुनाव में राह आसान नजर नहीं आ रही है। जमीनीं कार्यकर्ताओं में वह जोश दिखाई नहीं दे रहा है,जो 2018 के विधानसभा आम चुनाव के समय था। उसकी मुख्य वजह पार्टी के साथ बगावत करने वाले कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव में अग्रणी स्थान देना बताई जा रही है। अन्य कर्मठ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी भी देखी जा रही है। दूसरी ओर उनके लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के इमरान खान के चुनाव मैदान में उतरने से भी उनकी मुसीबतें बढ़ गई हैं।
हालांकि पिछले वर्ष हुए लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने इस संसदीय क्षेत्र की सभी आठ विधानसभा सीट पर बड़ी बढ़त हासिल की थी, लेकिन दिसम्बर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सियासी समीकरण तेजी से बदले और इनमें कांग्रेस अलवर ग्रामीण, रामगढ़ और राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ विधानसभा में ही जीत हासिल कर पाई, वहीं भाजपा अलवर शहर और मुण्डावर विधानसभा की सीट पर जीत दर्ज की। इन चुनावों में बसपा तीसरी ताकत के रूप में उभरी, उसने तिजारा और किशनगढ़ बास सीट पर जीत दर्ज की तो मुण्डावर सीट पर दूसरे नंबर पर रही।