रकबर की मौत शनिवार को तडक़े हुई थी
रकबर के साथी असलम का कहना है कि वह और रकबर मोटरसाइकिल से बड़ौदामेव गाय लेने गए थे। दिन में गायों के बिदकने के कारण वे गाय के लेकर रात को रवाना हुए। इसी दौरान ललावंडी गांव में भीड़ ने दोनों को घेर लिया। भीड़ ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। वह किसी तरह भाग कर अंधेरे में खेत की डोल के पीछे छिप गया। पुलिस रकबर को ले गई। पुलिस और लोगों के जाने के बाद वह वहां से छिपते-छिपाते भागा और सुबह 5 बजे कोलगांव पहुंचा।
रकबर के साथी असलम का कहना है कि वह और रकबर मोटरसाइकिल से बड़ौदामेव गाय लेने गए थे। दिन में गायों के बिदकने के कारण वे गाय के लेकर रात को रवाना हुए। इसी दौरान ललावंडी गांव में भीड़ ने दोनों को घेर लिया। भीड़ ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। वह किसी तरह भाग कर अंधेरे में खेत की डोल के पीछे छिप गया। पुलिस रकबर को ले गई। पुलिस और लोगों के जाने के बाद वह वहां से छिपते-छिपाते भागा और सुबह 5 बजे कोलगांव पहुंचा।
पहले गायों को गोशाला ले गए पुलिसकर्मी
इधर, रकबर के चचेरे भाई हारुन ने असलम के हवाले से कहा कि हमलावर आपस में एक-दूसरे का नाम लेकर बातचीत कर रहे थे। उनमें से एक व्यक्ति का नाम नवलकिशोर था।
प्रकरण में प्रत्यक्षदर्शी को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। घटना वाले खेत के एक-डेढ़ किलोमीटर तक कोई घर नहीं है। फिर प्रत्यक्षदर्शी नवलकिशोर शर्मा को घटना का पता कैसे चला? जो प्रत्यक्षदर्शी सामने आए, वे सभी एक ही परिवार के लोग बताए जा रहे हैं।
दूसरी ओर, शक के घेरे में आई पुलिस ने अपने स्तर पर मामले की जांच करवाई है। पुलिस महानिदेश ओपी गल्होत्रा ने विशिष्ट महानिदेशक कानून व्यवस्था एनआरके रेड्डी, एडीजी पंकज कुमार सिंह व आईजी महेंद्र चौधरी जैसे वरिष्ठ अधिकारियों की टीम को जांच के लिए कल अलवर भेजा। तीन सदस्यीय जांच दल ने बीती रात ही अपनी रिपोर्ट डीजीपी को सौंप दी। इस टीम ने माना कि पुलिस रकबर की चोटों की गंभीरता का अनुमान नहीं लगा सकी और पहले गायों को गोशाला पहुंचाने में जुट गई। इससे रकबर को अस्पताल पहुंचाने में देरी हुई।
आपको बता दें कि पुलिस को शुक्रवार रात लगभग 12 बजकर 41 मिनट पर घटना की सूचना मिल गई थी। पुलिस रात 3 बजे गोवंश को गोशाला छोड़ आई। इसके बाद सुबह करीब चार बजे तबीयत बिगडऩे पर पुलिस रकबर को लेकर अस्पताल पहुंची, तब तक देर हो चुकी थी। आपको बता दें कि रामगढ़ थाने से सरकारी अस्पताल मात्र 250 मीटर दूर है। जबकि इसी मार्ग पर सुधासागर गोशाला थाने से तकरीबन 7 किलोमीटर दूर है।