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अलवर से एक कविता रोज: मंजिल नहीं मिली अगर, लेखिका-आरती गुप्ता अलवर

मंजिल नहीं मिली अगर
मंजिल नहीं मिली अगर, कोई नहीं है हार।लड़ने से पहले कभी, मत डालो हथियार।।
असफलता से भी मिले, अनुभव की सौगात।भूले नहीं है ऐसी कभी, यह जीवन आधार।।

अलवरSep 16, 2020 / 08:50 pm

Lubhavan

Alwar Se Ek kavita Roj: Manjil Nahin Mili Agar By Aarti Gupta

अलवर से एक कविता रोज: मंजिल नहीं मिली अगर, लेखिका-आरती गुप्ता अलवर

मंजिल नहीं मिली अगर, कोई नहीं है हार।
लड़ने से पहले कभी, मत डालो हथियार।।

असफलता से भी मिले, अनुभव की सौगात।
भूले नहीं है ऐसी कभी, यह जीवन आधार।।

अमृत को चाहो गर तुम, विष भी हो बात,
चुनते हो अगर फूल तुम,, कांटों से हो प्यार।।
कर्मवीर से ना करना, रेखाओं की बात।
भाग्य बदलता है वही, जिसका करनी पर अधिकार।।

लहरों से खेल कर दे,, तूफानों को मात।
बांधा उसकी शक्ति ने, सागर का विस्तार।।

विजय श्री उनको मिलती, उनका होता नाम।
जिन्हें हारने से पहले हार ना हो स्वीकार।।
लेखिका- आरती गुप्ता, अलवर

आरती गुप्ता दसवीं कक्षा से कविता लिख रही हैं, ये बाल भर्ती सीनियर सेकेंडरी आर्य नगर में हिंदी व संस्कृत की टीचर हैं। आरती 150 से अधिक कविताएं व कहानियां लिख चुकी हैं। आरती गुप्ता मुख्य तौर पर देशभक्ति व नारीशक्ति पर लिखती हैं। इन्होनें हिंदी व संस्कृत से एमए किया है। उन्हें लेखन की प्रेरणा उनकी अध्यापिका कमलेश जैन से मिली है ।

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