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अलवर

सेना में भर्ती होकर 9 महीने पहले गांव आया तो मनाया था जश्न, अब तिरंगे में लिपटकर आया 21 वर्षीय वीर सपूत

सैनिक यादराम गुर्जर अभी मात्र 21 साल के थे और आंध्रप्रदेश के सिकंदरा में सेवाएं दे रहे थे। वहीं ड्यूटी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। वे डेढ़ साल पहले वर्ष 2019 में ही सेना में भर्ती हुए थे।

अलवरSep 26, 2020 / 10:40 pm

Lubhavan

Alwar Soldier Yadram Gurjar Dies During Duty In Andhra Pradesh

सेना में भर्ती होकर 9 महीने पहले गांव आया तो मनाया था जश्न, अब तिरंगे में लिपटकर आया 21 वर्षीय वीर सपूत

अलवर. अलवर जिले के थानागाजी क्षेत्र के गांव हींसला निवासी सैनिक यादराम गुर्जर की शुक्रवार सुबह हृदयघात से मृत्यु हो गई। शनिवार शाम साढ़े छह बजे सैनिक का पार्थिव शरीर उसके पैतृक गांव हींसला पहुंचा। पार्थिव देह पहुंचने पर गांव की हर किसी की आंखें नम हो गई। सैनिक की सैनिक सम्मान से अन्त्येष्टि की गई। सैनिक के छोटे भाई देशराज ने मुखाग्निी दी। सैनिक के अंतिम विदाई में जनप्रतिनिधि सहित प्रशासनिक अधिकारी के साथ सैकड़ों लोग शामिल हुए।
जानकारी के अनुसार सैनिक यादराम गुर्जर अभी मात्र 21 साल के थे और आंध्रप्रदेश के सिकंदरा में सेवाएं दे रहे थे। वहीं ड्यूटी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। वे डेढ़ साल पहले वर्ष 2019 में ही सेना में भर्ती हुए थे। शुक्रवार को अचानक तबीयत बिगडऩे से उनकी मृत्यु हो गई। उनके पार्थिव देह को आंध्र प्रदेश से जयपुर लाया गया जहां से सेना के जवान उन्हें उनके गांव हींसला लेकर पहुंचे, जहां उनकी अन्त्येष्टि की गई।
परिजनों ने बताया कि गुरुवार रात करीब 10 बजे ही शहीद यादराम ने अपने माता पिता से फोन पर बात की थी, इस पर माता इमरती देवी ने बेटे से जल्दी घर आने की बात कही तो, उसने बताया कि अब तो अप्रेल मई में उसकी ट्रेनिंग पूरी हो जाएगी तब ही घर आएगा। बूढ़ी मां को क्या पता था कि उसका बेटा तीसरे दिन ही तिरंगे में लिपटा आएगा।
ग्रामीणों पड़ौसियों ने बताया कि करीब 9 माह पूर्व जनवरी में 10 दिन की छूट्टी आया था तो खूब गाजे बाजे के साथ सेना में नौकरी लगने की खुशी में भैरू बाबा के मन्दिर में सवामणी की गई थी। सवामणी के बाद गया हुआ हिंसला का यह वीर सपूत शनिवार को शहीद होकर तिरंगे में लिपटा वापस लौटा तो माता इमरती देवी व पिता जयराम के साथ सभी परिजनों का रो रकर बुरा हाल था। परिवार में शहीद यादराम गुर्जर की माता इमरती देवी (45) एवं पिता जयराम गुर्जर (50) के अलावा एक छोटा भाई देशराज (17) तथा एक बहन कृष्णा देवी (19)बीए पार्ट द्वितीय मे ंअध्धयनरत है। यादराम के परिजनों ने बताया कि 13 जून 1999 जन्मे यादराम का बचपन से ही सेना में भर्ती होने का सपना था। उनके छोटे भाई का कहना है कि वे भी सेना में जाकर देश सेवा करना चाहते हैं।
पिता की दयनीय आर्थिक स्थिति
पिता के नाम गांव में करीब डेढ़ बीघा जमीन है। ग्रामीणों की मानें तो इसका पिता जयराम दिल्ली में अनाज मंडी में पलदारी कर के अपने इस बेटे को बड़ी मुश्किल से पढ़ाया लिखाया। करीब 15 माह पूर्व ही सेना में क्लर्क के पद पर नौकरी लगी तो पिता को उसके देखे सपने पूरे होते नजर आए । इसी बीच करीब 6 माह पूर्व से ही पिता जयराम की तबीयत भी खराब रहने लगी थी। अपने रोज मर्रा के कार्य के अलावा कुछ नहीं कर पाता। परिवार में माता पिता,भाई बहन सबकी जिम्मेदारी का बोझ यादराम पर था।
अंतिम यात्रा में सैकड़ो लोग शामिल
सैनिक यादराम गुर्जर की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए घाटा स्टैंड पर घंटों पहले सैकड़ों लोग एकत्रित हो गए। शहीद यादराम अमर रहे के नारों के साथ हजारों लोगों ने अंतिम शव यात्रा में भाग लिया। इस दौरान स्थानीय विधायक कांती प्रसाद मीना,बानसूर विधायक शकुंतला रावत,थानागाज़ी पूर्व विधायक हेमसिंह भड़ाना, विराटनगर विधायक इंद्राज गुर्जर,नगर पालिका थानागाज़ी अध्यक्ष चौथमल सैनी ने शहीद यादराम गुर्जर को श्रद्धांजलि दी। वहीं, संयुक्त सचिव राजस्थान सरकार एसआर मीना, एसडीएम डॉ. नवनीत कुमार,तहसीलदार भीमसेन सैनी,विकास अधिकारी कजोड़ मल मीना,सीबीईओ महेंद्र मीना आदि ने भी इस दुखद घटना पर परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है।

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