ज्यादातर पुलिस थानों में हालात यह है कि जब कोई महिला अभद्रता, छेड़छाड़, मारपीट या फिर घरेलू हिंसा की शिकायत लेकर थाने में पहुंचती है तो उसकी फरियाद सुनने के लिए पुरुष पुलिसकर्मी बैठे होते हैं। महिला शर्म के कारण अपनी पीड़ा पुरुष पुलिसकर्मियों को खुलकर बता भी नहीं पाती हैं।
हाल ही में बलात्कार के बड़े मामले अलवर जिला महिलाओं और बच्चियों के लिए सुरक्षित नहीं है। अलवर में 6 अक्टूबर को नवरात्र के दौरान जागरण देखने आई एक 8 वर्षीय बालिका से सडक़ किनारे बलात्कार किया गया था। यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई थी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। आरोपी दरिंदगी के समय नशे में था।
थानागाजी गैंगरेप थानागाजी गैंगरेप ने अलवर को पूरे देश में शर्मसार किया था। थानागाजी गैंगरेप का मुख्य आरोपी छोटेलाल घटनास्थल के समीप ही अवैध रूप से शराब बेचता था। वहां से जा रहे पति-पत्नी को उसने और उसके साथियों ने पकड़ा और महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया।
एक मामले में फांसी भी हुई अलवर के लक्ष्मणगढ़ में 8 मई 2018 को एक सात माह की अबोध बच्ची से 20 वर्षीय युवक पिंटू ने नशे में बलात्कार किया था। बलात्कार के बाद बच्ची लहुलूहाल हालत में मिली थी।
प्रकरण में पुलिस ने भी तत्काल कार्रवाई करते हुए 27 दिन में न्यायालय में चालान पेश कर दिया। इसके बाद न्यायाधीश ने 21 जून को प्रसंज्ञान लेते हुए स्पीडी ट्रायल शुरू किया। प्रकरण के सम्बन्ध में 28 जून से न्यायालय में सुनवाई शुरू की गई, जो 16 जुलाई तक चली। जिसमें अभियोजन पक्ष की तरफ से 21 और मुल्जिम पक्ष की तरफ से एक गवाह कराए गए। प्रकरण में 17 जुलाई को पूरे दिन बहस चली। 18 जुलाई को आरोपी पिंटू को दोष सिद्ध किया गया तथा 21 जुलाई को उसे फांसी की सजा सुना दी गई। न्यायाधीश ने चार्ज लगने के बाद 22 अदालती कार्यदिवसों में 13 पेशियां लगाते हुए प्रकरण में साक्ष्य पूरे कर घटना के 72 दिवस बाद फैसला सुना दिया।
जिले में बलात्कार के प्रकरण वर्ष प्रकरण
2015 242
2016 221
2017 285
2018 351
2019 328
(नोट- उपलब्ध आंकड़े अक्टूबर-2019 तक) वर्ष-2018 में टॉप फाइव जिले
जिला बलात्कार के प्रकरण
अलवर 351
जयपुर कमिश्नरेट 299
उदयपुर 244
भरतपुर 203
गंगानगर 188 वर्ष-2017 में भी अलवर टॉप पर
जिला बलात्कार के प्रकरण
अलवर -285
जयपुर कमिश्नरेट 210
भरतपुर 191
उदयपुर 154
गंगानगर 130 प्रयास कर रहे हैं भिवाड़ी अभी नया पुलिस जिला बना है। यहां फिलहाल थानों में महिला पुलिसकर्मियों की कमी है, जिसके कारण महिला हेल्प डेस्क नहीं बन सकी है। थानों में स्वागत कक्ष और महिला हेल्प डेस्क बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। निश्चित रूप से जल्द ही सभी थानों में यह व्यवस्था कर दी जाएगी।
अमनदीप सिंह, पुलिस अधीक्षक, भिवाड़ी।
महिला अधिकारियों की कमी जिले के पुलिस थानों में महिला कांस्टेबल नियुक्त है लेकिन महिला पुलिस अधिकारियों की कमी है, जिसके कारण महिला हेल्प डेस्क का कार्य प्रभारी तरीके से नहीं हो पा रहा है।
परिस देशमुख, पुलिस अधीक्षक,अलवर
जल्द व्यवस्था करेंगे अलवर जिले के कुछ पुलिस थानों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप महिला हेल्प डेस्क शुरू की गई थी। जल्द ही सभी पुलिस थानों में प्रभावी रूप से महिला हेल्प डेस्क की व्यवस्था की जाएगी। एस. सेंगाथिर, आईजी, जयपुर रेंज।