लॉकडाउन के बाद से ही जिले में भारतीय खाद्य निगम के जरिए जिले में गेहूं की सप्लाई तेज कर दी गई थी। महामारी से पहले जिले में करीब 12 हजार मीट्रिक टन गेहूं प्रति माह सप्लाई होता था, जो अब करीब 36 हजार मीट्रिक टन से अधिक पहुंच सकता है। फिलहाल करीब छह रैक में 15 हजार 600 से अधिक टन गेहूं आ चुका है। इसके आगे भी गेहूं की बराबर मांग है। जिले में अधिकतर गेहूं हरियाणा से आया है। एफसीआई के अधिकारियों ने बताया कि गेहूं की माग बढ़ी है। बराबर सप्लाई जारी है। जिले की जनसंख्या के हिसाब से यहां खपत अधिक है।
राशन डीलरों तक पहुंच रहा बीपीएल व एपीएल परिवारों के अलावा अन्य लोगों को भी महामारी में गेहूं दिया जाने लगा है। गेहूं की मात्रा भी सरकार दोगुना से अधिक की है। इसके अलावा कई अन्य श्रेणी के लोगों को भी सरकारी योजना के तहत गेहूं दिए जाने की व्यवस्था की है। जिसके कारण गेहूं की खपत बढ़ी है। खाद्य निगम के जरिए गेहूं रसद विभाग के जरिए राशन डीलरों तक पहुंचता है। फिर वहां से घर-घर राशन का गेहूं पहुंचाने का इंतजाम होता है। अभी तीन मई तक लॉकडाउन घोषित है। जिसे देखते हुए कई हजान टन गेहूं और
आएगा।
केवल मालगाड़ी आ रही लॉकडाउन के दौरान रेलेव जंक्शन से केवल मालगाड़ी ही निकलती है। अब देश भर में खाद्य सामग्री की मांग बढ़ी है। जिसके कारण मालगाडिय़ों के जरिए गेहूं, तेल व अन्य खाद्य सामग्री सप्लाई होती है। अलवर जिले से तेल व मसाले सहित कई अन्य तरह के खाद्य पदार्थ की सप्लाई अन्य राज्यों में नियमित रूप से जारी है। जिसकी कई रैक अलवर से जा चुकी है।