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यह क्या कर दिया राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के अधिकारियों ने

शरद शुक्ला
नागौर. नागौर आगार के दो दर्जन से अधिक बसों के टोलकार्ड लापता हो गए। कार्ड खराब हुए या गुम, इस बारे में प्रबंधनतंत्र कुछ भी कहने की अपेक्षा चुप्पी साध ली है। टोल कार्ड के अभाव में अजमेर एवं जयपुर जाने वाले टोल नाके पर आवागमन के प्रतिदिन करीब १८० रुपए का टोल चुकाना विभाग के लिए भारी पडऩे ल

अलवरApr 28, 2017 / 11:34 am

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रोडवेज की खस्ता हालत को दुरुस्त किए जाने के दावे को खुद उनके ही विभाग के अधिकारी तार-तार करने में जुट गए हैं। विभाग का राजस्व बढ़ाने एवं निगम की अर्थव्यवस्था को पोषित करने की जगह जिम्मेदार अधिकारी दीमक की अपने ही विभाग को खोखला करने में लगे हुए हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार अजमेर एवं जयपुर जाने वाली दो दर्जन से अधिक बसों के टोलकार्ड लापता हैं। कार्ड गायब हुए, या खराब हो गए, इस बारे में अधिकारी कुछ भी कहने से कतराने लगे हैं। टोल कार्ड नहीं होने के कारण राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम को प्रति माह अपरोक्ष तौर पर लाखों की चपत लगने लगी है। कार्ड गुम या खराब होने की स्थिति में आगार के प्रबंधनतंत्र की ओर से टोलकार्ड बनवा लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसकी वजह से रोडवेज को अब प्रति माह लाखों रुपए की चपत खुद उनके ही अधिकारियों की वजह से लगने लगी है।
ऐसे लग रही दोहरी चपत

टोलनाके से अजमेर एवं जयपुर जाने वाली बसों की संख्या के हिसाब से एकमुश्त राशि करीब एक लाख रुपए या इससे ज्यादा टोल के लिए जमा करा दी जाती है। इसके बाद टोल की ओर से रोडवेज को टोलकार्ड दे दिया जाता है। अजमेर या जयपुर जाने के दौरान टोलनाके पर कार्ड को दिखा दिया जाता है। इसके बाद टोलनाके कर्मियों की ओर से कार्ड को स्वैप कर दिया जाता है। स्वैप करते ही जमा राशि में से मौजूदा राशि कट जाती है। अब टोलकार्ड नहीं होने की स्थिति में परिचालक की ओर से मसलन अजमेर जाने वाले रूट पर केवल जाने के ९० रुपए जमा कराने पड़ते हैं, और आने के दौरान भी ९० रुपए ही देने पड़ते हैं। इस तरह से विभाग को दोहरी आर्थिक चपत लगने लगी है।
…फिर भी नहीं बनवाया पास

प्रति बस के टोलनाके से रोजाना जाने की स्थिति में पास भी बनवाया जा सकता था। पास बनने के बाद फिर यह राशि रोजाना नाके पर दिए जाने वाली राशि की अपेक्षा आधी हो जाती है। इससे विभाग को इसका फायदा मिल जाता, लेकिन जिम्मेदारों की ओर से कार्ड नहीं होने की स्थिति में पास भी बनवाए जाने की जहमत नहीं उठाई गई।
अधिकारी कहिन…

इस संबंध में जब नागौर आगार के मुख्य प्रबंधक मनोहरसिंह राजपुरोहित से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि करीब २०-२५ बसों के टोलकार्ड नहीं हैं। इनके कार्ड जल्द ही बनवा लिए जाएंगे। जब यह कहा गया कि तीन साल से यह स्थिति बनी हुई तो उनका कहना था कि तीन साल नहीं, महज छह माह से है। तो फिर छह माह में ही कार्ड अब तक क्यों नहीं बनवाया जा सका, अब तक विभाग को इससे हुई राजस्व हानि को जिम्मेदार कौन है, के सवाल पर वह स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने की जगह बस इतना ही बताया कि एक मई से सभी कार्ड बन जाएंगे।

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