scriptफेल होते ही डूब गए 363 करोड़ रुपए…लगा झटका | Patrika News
अलवर

फेल होते ही डूब गए 363 करोड़ रुपए…लगा झटका

भारत डिजिटल हो रहा है। हर सिस्टम को ऑनलाइन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यही है कि एक क्लिक में ही काम आसान हो जाए। जनता को सीधा लाभ मिल जाए। एनएचएआई ने भी एक अप्रेल से इसे अपनाया लेकिन ये सिस्टम नहीं दौड़ पाया। पोर्टल के सॉफ्टवेयर के चलते कर्मियों का काम बढ़ […]

अलवरMay 01, 2024 / 11:10 am

susheel kumar

भारत डिजिटल हो रहा है। हर सिस्टम को ऑनलाइन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य यही है कि एक क्लिक में ही काम आसान हो जाए। जनता को सीधा लाभ मिल जाए। एनएचएआई ने भी एक अप्रेल से इसे अपनाया लेकिन ये सिस्टम नहीं दौड़ पाया। पोर्टल के सॉफ्टवेयर के चलते कर्मियों का काम बढ़ गया। जमीन के एक खसरा में शामिल किसानों को मुआवजा देने में अफसरों के पसीने आ रहे हैं। पोर्टल के चलते पनियाला-अलवर-बड़ौदामेव एक्सप्रेस-वे के करीब 5 हजार किसानों का 363 करोड़ का मुआवजा अटक गया है। जिला प्रशासन ने एनएचएआई को पत्र लिखा है कि पोर्टल को अपडेट करें तभी किसानों को मुआवजा समय पर मिल पाएगा।
फैक्ट फाइल

– दिल्ली-जयपुर हाइवे (एनएच-48) को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (148 एन) से जोड़ने के लिए पनियाला हाइवे की डीपीआर जनवरी 2021-22 में बनाई गई। कुछ समय में मंजूरी मिल गई।

– 86 किमी लंबे इस हाइवे में 83.36 किमी का हिस्सा अलवर जिले का आया। 6 तहसीलों (बानसूर, मुंडावर, किशनगढ़बास, अलवर, रामगढ़, लक्ष्मणगढ़) के 55 गांवों की जमीन अधिग्रहण करने का निर्णय लिया गया।
– जनवरी 2023 में जिला प्रशासन ने जमीन का अवार्ड किया।

– 492.62 हेक्टेयर जमीन के लिए 591.12 करोड़ रुपए (92.12 करोड़ का ढांचागत मुआवजा भी शामिल) मुआवजा देना तय हुआ। करीब 10 हजार किसानों की ये जमीनें हैं।
– सितंबर 2023 से मुआवजा ऑफलाइन बांटना शुरू हो गया। एक अप्रेल से एनएचएआई ने भूमि राशि पोर्टल के जरिए ऑनलाइन भुगतान करने के लिए कहा गया, जो पूरी तरह कारगर नहीं हो पाया।
पोर्टल में ये बड़ी खामी

एक जमाबंदी में 10 से 15 खसरे शामिल हैं और एक खसरे में 10 से लेकर 150 किसानों की जमीनें हैं। पोर्टल पर जैसे ही एक खसरा नंबर डालते हैं तो एक ही किसान को पैसा पहुंच रहा है, जबकि बाकी किसान भी उसी खसरे में शामिल हैं। दूसरे किसान को मुआवजा देना है तो फिर से वही प्रक्रिया कार्मिकों को अपनानी पड़ रही है। साथ ही ओटीपी भी अफसरों के मोबाइल पर आता है। यानी कर्मचारियों का एक घंटे का काम बढ़कर 6 घंटे में हो रहा है, जबकि ऑनलाइन में काम आसान होना चाहिए था। एनएचएआई के मिनी सचिवालय िस्थत कार्यालय में 600 किसानों की फाइलें इसी कारण आगे नहीं बढ़ पा रही हैं।
एनएचएआई के पोर्टल के जरिए ही अब किसानों को मुआवजा दिया जाना है। एक अप्रेल से ये प्रक्रिया शुरू हुई है लेकिन पोर्टल में कई खामियां हैं, जिन्हें दुरुस्त करने के लिए एनएचएआई के अधिकारियों को चिट्ठी लिखी गई है। पोर्टल अपडेट होते ही मुआवजा किसानों के खातों में पहुंचने लगेगा। वैसे अब तक 228 करोड़ रुपए किसानों को भेजा जा चुका है।
– वीरेंद्र वर्मा, एडीएम प्रथम

पूरे देश में भूमि राशि पोर्टल से ही हाइवे का मुआवजा भुगतान हो रहा है। कार्मिक यहां के पूरी तरह ट्रेंड नहीं थे, ऐसे में उन्हें ट्रेनिंग दी गई है। दो पेमेंट ऑनलाइन करके कार्मिकों को दिखाए गए हैं। समस्या का समाधान लगभग हो गया है। किसानों को मुआवजा मिलने लगा है।
– एमके मीणा, पीडी, एनएचएआई

Hindi News/ Alwar / फेल होते ही डूब गए 363 करोड़ रुपए…लगा झटका

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो