बाला किला में करीब 3 वर्ष पूर्व आए आंधी तूफान के बाद दीवारें और छत क्षतिग्रस्त हो गई थी। बाला किले के भूतल पर स्थित छज्जे भी गिरकर टूट गए थे। इसके साथ ही किले में पिछले काफी समय से काम नहीं होने के कारण किले की दीवारों का रंग भी अब खराब हो चुका है। यहां आने वाले पर्यटक भी किले की दीवारों पर कुछ लिख देते हैं जिससे दीवारें खराब हो चुकी है। किले की मरम्मत और जीर्णोद्धार के बाद किले की सुंदरता और बढ़ जाएगी। इससे पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा।
वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री ने बजट घोषणा में बाला किला और तिजारा के भर्तृहरि गुंबद के लिए बजट स्वीकृत किया था। वित्तीय स्वीकृति नहीं मिलने के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा था। अब इसकी वित्तीय स्वीकृति मिल चुकी है। एक कंपनी को काम का ठेका सौंपा गया है।
कुंवारा किले के नाम से जाना जाता है बाला किला अलवर को 52 किलो का गढ़ कहा जाता है। इन्हीं में अलवर का बाला किला भी शामिल है अलवर के बाला किला को कुंवारा किला कहा जाता है क्योंकि इस किले पर कभी भी युद्ध होकर हार जीत नहीं हुई। बाला किला 1960 फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। इसके प्राचीर के मध्य स्थान पर विशाल गुर्जर बने हुए हैं। किले में 15 गुण तथा 52 अर्ध चंद्राकार बुर्ज हैं। दुर्ग की द्वितीय रक्षा पंक्ति में आठ विशाल बुर्ज बनी हुई है जिसमें काबुल बुर्ज दो गजब हवा बंगला भूमि के महाराजा शिवदान सिंह ने बनवाई थी। इतिहासकार हरिशंकर गोयल ने बताया कि अलवर के बाला किला पर 1527 में मुगल बादशाह बाबर आकर ठहरा था।
सफारी शुरू होने के बाद बढ़े हैं पर्यटक अलवर का बाला किला सरिस्का बफर जोन में स्थित है। इसके चलते पिछले 2 साल से यहां पर सफारी की सुविधा पर्यटकों के लिए शुरू की गई है। इससे पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है। किले का अंदर भाग पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के पास है। सरिस्का रेंज में होने के कारण वन विभाग का भी स्वामित्व है ।
तिजारा के भर्तृहरि गुंबद में होगा 35 लाख का काम अलवर जिले के तिजारा स्थित भर्तृहरि गुंबद में पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग की ओर से 35 लाख रूपए का काम कराया जाएगा। यह वह स्थान है जहां उज्जैन के महाराजा भर्तहरि आकर ठहरे थे, यहां से होते हुए ही वह अलवर के सरिस्का स्थित जंगलों में पहुंचे थे जहां उन्होंने तपस्या की और समाधि ली। इसलिए यह स्थान पर्यटक और भर्तृहरि के उपासको के लिए खास है।
अब होगा काम शुरू- मुख्यमंत्री ने बजट में बाला किला के लिए तीन करोड़ और भर्तृहरि गुंबद के लिए 35 लाख रुपए स्वीकृत किए थे। इस राशि को वित्तीय स्वीकृति मिल गई है शीघ्र ही इन स्थानों पर मरम्मत एवं सुधार का काम कराया जाएगा।
-सोहन सिंह चौधरी, अधीक्षक, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, जयपुर