लॉक डाउन लगने के बाद से ही जंक्शन के बाहर से चलने वाले रिक्शा और ऑटो संचालकों की आजीविका पर संकट आ गया था जो कि छह माह बाद भी समाप्त नहीं हुआ है। लॉक डाउन से पहले जंक्शन पर 75 से ज्यादा ट्रेनों का ठहराव होता था लेकिन अभी 3-4 ट्रेनें ही चल रही हैं। इससे ऑटो संचालकों को सवारियां नहीं मिल रही हैं। इ-रिक्शा चालक पवन कुमार ने बताया कि लॉक डाउन से पहले लोन लेकर इ-रिक्शा खरीदा था लेकिन सवारियां नहीं मिलने से किस्तें भरना मुश्किल हो गया। ऐसे में सब्जी बेचकर गुजारा कर रहे हैं।
छह माह तक हालात सामान्य होने के आसार नहीं रेलवे स्टेशन के कैंटीन संचालकों का कहना है कि कोरोना से बिगड़े हालत सामान्य होने में अभी छह महीने का वक्त लग सकता है। ऐसे में कई कैंटीन संचालकों ने दूसरे काम शुरू कर दिए हैं। जंक्शन पर संचालित कैंटीन पर अभी पैकेट में बंद खाद्य पदार्थ बिक रहे हैं। यात्री खुले खाद्य पदार्थ खरीदने से बच रहे हैं। जब तक ट्रेनें नहीं चलती स्टेशन पर हालात सामान्य नहीं होंगे।
फैक्ट फ़ाइल
———————–लॉक डाउन से पहले—— लॉक डाउन के बाद ट्रैन संचालन ——————78 —————8 यात्री ———————10 से 12 हजार ——300
कैंटीन बिक्री————– 3 से 5 हजार———— 90 प्रतिशत कमी टैक्सी, रिक्शा संचालित ————100 ————–20