हाल में हुए लोकसभा उपचुनाव के नतीजों से उलटफेर के संकेत मिलने शुरू हो गए थे। जिसमें भाजपा को लोकसभा क्षेत्र की सभी आठ विधानसभा सीटों पर करारी हार मिली। खुद प्रत्याशी श्रम मंत्री डॉ. जसवंत यादव के क्षेत्र में हार चौंकाने वाली रही थी। चूंकि श्रम मंत्री ने मतगणना से पूर्व ही कहा था कि यदि हार गया तो चुनावी राजनीति से दूरी बना लूंगा। ऐसे में बहरोड़ में बीजेपी के टिकट आशार्थियों ने खम ठोकना शुरू कर दिया है। वहीं श्रम मंत्री की राजनीति को जानने वालों का मानना है कि वे खुद या अपने निकटस्थ परिजन के लिए टिकट का दावा करेंगे। राजनीतिक चर्चाओं में अब
तक मुंडावर क्षेत्र से उन्हें जोडकऱ देखा जा रहा था। अब चौधरी के देहांत के बाद के समीकरण उनके लिए कैसे रहेंगे यह जल्द स्पष्ट हो जाएगा।
विरासत पर विश्वास या फिर दमदारों पर दांव मुण्डावर विधानसभा क्षेत्र में धर्मपाल चौधरी के आकस्मिक निधन के चलते राजनीति में दावेदारों को लेकर कयासबाजी का दौर शुरू हो गया है। राजनीतिक के कुछ जानकारों का मानना है कि मुण्डावर क्षेत्र में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के दिवंगत नेताओं के परिवार में भी विरासत को संभालने वाले को तैयारी है तो चौधरी के निधन के बाद दोनों ही दलों के कई दमदार नेता यहां से किस्मत आजमाने की योजना बनाने लगे हैं। ऐसे में देखना होगा कि राजनीतिक दलों के रणनीतिकार विरासत पर विश्वास जताते हैं या फिर दमदार नेताओं पर दांव लगाते हैं।