scriptकोरोना की मार से बदल गए रोजगार, कई परिवारों का पेट पालना बभी हुआ मुश्किल | Coronavirus Unemployment Increase During Lock Down | Patrika News

कोरोना की मार से बदल गए रोजगार, कई परिवारों का पेट पालना बभी हुआ मुश्किल

locationअलवरPublished: Apr 08, 2020 12:48:15 pm

Submitted by:

Lubhavan

लॉक डाउन के कारण कई उद्योग धंधे बंद हो गए हैं, इससे कई परिवारों का पेट पालना भी मुश्किल हो गया है

Coronavirus Unemployment Increase During Lock Down

कोरोना की मार से बदल गए रोजगार, कई परिवारों का पेट पालना बभी हुआ मुश्किल

मुण्डावर. कोरोना वायरस के प्रहार से बचने की खातिर लगे लॉक डाउन के कारण जहां चहुंओर उद्योग-धंधे ठप हो गए हैं, वहीं इसका सबसे ज्यादा असर उन कामगारों पर पड़ा है, जो मेहनत मजदूरी कर परिवार को चलाते हैं। कई दिनों से रोजगार नहीं मिलने से ऐसे लोग आथिज़्क रूप से त्रस्त हो गए हैं।
मजदूरों की कोरोना की मार से लगे लॉक डाउन से कमर टूट गई है। ऐसे में उनके समक्ष परिवार का पेट पालना भी मुश्किलभरा हो गया। ऐसे एक नहीं अनेक श्रमिक हैं, जो मजदूरी, दुकानों के सहारे रोजी-रोटी पाते थे, लेकिन पिछले करीब एक पखवाड़े से शहर में दुकानों के बंद होने से इनका रोजगार भी बंद हो गया है। इससे ये ना केवल ठाले हो गए, बल्कि उनके समक्ष परिवार का पेट पालना भी मुश्किल भरा हो गया। ऐसे में उन्होंने रोजगार ही बदल डाला है।
जबकि अब तो आगामी दिनों में अक्षय तृतीया, पीपल पूणिज़्मा के अबूझ सावों सहित अन्य सावे थे, जिससे रोजगार अधिक होने की उम्मीद थी। ऐसे ही लोगों से जब चचाज़् की तो वे बोले कि बिना रोजगार हमारी कमर टूट गई। ऐसे में अब सब्जी का ठेला लगाकर कुछ कमा रहे हैं।
तिनकीरुडी निवासी कुलवंत मेहता इन दिनों आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के गली-मोहल्लों में पिकअप गाड़ी से सब्जी बेचकर रोजगार पा रहे हैं। एक पखवाड़े पहले तक मुण्डावर कस्बे के मुख्य बाजार में रेडीमेड कपड़े की दुकान करता था, लेकिन अब कोरोना के कहर ने उन्हें गली-गली में सब्जी बेचने को मजबूर कर दिया है। इसे लेकर कुलवंत मेहता कहते हैं कि कई दिनों से दुकान बंद थी व रोजगार नहीं मिल रहा। अब परिवार को पालने के लिए पिछले 7-8 दिन से सब्जी बेचने का कायज़् शुरू किया है।
फोटो स्टूडियो का काम करता था, अब बेच रहा सब्जी

कोरोना महामारी व लॉक डाउन के चलते शादियां रद्द हो गई है, जिससे फोटो स्टूडियो संचालक रमेश तनवानी के पास रोजगार नहीं था, कई दिन के इंतजार के बाद आखिर परेशानी बढ़ी तो उसने भी चार-पांच दिन पहले से सब्जी बेचने का काम शुरू किया है। धमज़्सिंह के अनुसार वह सब्जी बेचकर रोजाना 200-300 रुपए कमा लेता है, वह कहता है कि परिवार के गुजारे के लिए कुछ तो करना पड़ेगा।
ठेली चलाकर बेचता था गुटखा व तम्बाकू उत्पाद, अब बेच रहा सब्जी।
मुण्डावर कस्बा निवासी जवाहर सिंधी व मनोज तनवानी भी कस्बे के बाजार व गली मोहल्लों में सब्जी का ठेले पर सब्जी बेचते नजर आए। जवाहर व मनोज के अनुसार वो दोनों बस स्टैंड मुण्डावर पर ठेली लगाकर गुटखा, तम्बाकू उत्पाद आदि बेचते थे अब सब्जी का ठेला लगाकर जैसे-तैसे परिवार का गुजारा कर रहे हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो