मौत से ठीक दस मिनट पहले घटना स्थल की ओर जाते वक्त कपिल राज शर्मा ने प्रेम पाठक से रामा-श्यामा की। पाठक का कहना है कि मैं ये समझ ही नहीं पा रहा हूं कि ऐसा कैसे हो गया। दस मिनट पहले दोपहिया पर जाते कपिल ने मुझे देखा और रुककर हाल-चाल जाना। हंसते-मुस्कराते चेहरे के साथ विदा ली और दस मिनट बाद ही पता लगा कि कपिल इस दुनिया में नहीं रहे। हादसे की खबर मिलने के बाद उदास चेहरे के साथ दफ्तर पहुंचे पाठक ने साथियों से इसका जिक्र किया तो उनके चेहरे पर भी ये जानकर उदासी छा गई कि हमेशा हंसते रहने वाले कपिल राज को शायद अंदाजा भी नहीं था कि यह उनकी आखिरी राम-राम थी।
उल्लेखनीय है कि अलवर नगर परिषद के 50 पार्षदों में वार्ड 41 के पार्षद कपिलराज शर्मा ही एकमात्र ऐसे पार्षद थे जिनके शब्दकोष में नहीं शब्द था ही नहीं। किसी भी समस्या के समाधान के लिए जूझने की हद तक संघर्ष करने वाले कपिल पिछले वर्ष अपने वार्ड की समस्याओं के समाधान के लिए एक माह तक धरने पर बैठे रहे थे।
दवा का इंतजार कर रहे थे बच्चे कपिल जब घर पहुंचे तो बच्चे स्कूल से आ गए थे। दोनों बच्चों को जुकाम-बुखार था। बडी बहन अन्ना ने कहा कि बच्चों की दवा लाकर दे दो, कपिल ने कहा कि अभी फैक्ट्री होकर आ रहा हूं। फिर दवा दे दूंगा। लेकिन बच्चे दवा का इंतजार ही करते रह गए।