सुनार का काम है खास नई पीढ़ी को नही है रास सोने और चांदी के जेवरात बनाने का काम पीढिय़ों से चलता आ रहा है। अब पिछले कई वर्षों से रेडिमेड ज्वैलरी का कारोबार चल रहा है जिसका सबसे अधिक खामियाजा इस व्यवसाय से जुड़े युवाओं को हुआ है। इस व्यवसाय से जुड़े युवा अब पढ़ लिखकर नौकरी कर रहे हैं या अन्य व्यवसाय को अपना रह हैं। युवा पुनीत सोनी बताते हैं कि अब इसमें परम्परागत कला से युवा दूर होते जा रहे हैं। जब रेडिमेड आइटम ही बेचने हैं तो वह कोई भी बेच सकता है।
अपने काम की सुगंध से नई पीढ़ी हो रही दूर अलवर में बहुत से हलवाइयों के परिवारों ने परम्परागत काम को छोड़ दिया है। जबकि कई ऐसे परिवार भी हैं जिनकी नई पीढ़ी ने इस काम को ही परम्परागत तरीके से निकलकर आधुनिकता का संगम किया है जिससे उनका कारोबार बहुत अधिक बढ़ गया है। अलवर में कलाकंद हो या सब्जी मंडी में समोसे व
कचोरी वाली दुकान में काम कई गुना बढ़ा है। लेकिन इसके बावजूद आजकल की पीढ़ी अपने घर के पुश्तैनी काम पर कम
ध्यान दे रही है। अलवर में बापू बाजार में मिठाई की दुकान हो या फिर बैंड व ढ़ोल की, इन सभी दुकानों पर अब भी वहीं लोग काम कर रहे हैं जो पहले से करते थे, इन दुकानों पर नई पीढ़ी नहीं आ रही है। इससे अब यह पुश्तैनी काम बंद होने के कगार पर है।