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अलवर से धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं पुश्तैनी काम, युवा पीढ़ी नहीं दिखा रही रुचि

अलवर की युवा पीढ़ी उनके परिवार के पुश्तैनी काम मे रुचि नहीं दिखा रही है, इस वजह से यह सभी काम बंद होने के कगार पर हैं।

अलवरApr 25, 2018 / 01:47 pm

Prem Pathak

Ending era of ancestral works in alwar
अलवर की नई पीढ़ी अपने परिवार के पुश्तैनी काम को करने में रूचि नहीं दिखा रही है। अलवर में कई ऐसे पुश्तैनी काम हैं जिन्हें अभी भी बुजुर्ग व्यक्ति कर रहे हैं। अलवर में अधिकांश सुनार, हलवाई, व दर्जी अभी खुद ही अपना काम कर रहे हैं, नई पीढ़ी उनके इस काम में बिल्कुज दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। आजकल की पीढिय़ा परिवार के जमे हुए काम को छोड़ नौकरी की तलाश में है।
सुनार का काम है खास नई पीढ़ी को नही है रास

सोने और चांदी के जेवरात बनाने का काम पीढिय़ों से चलता आ रहा है। अब पिछले कई वर्षों से रेडिमेड ज्वैलरी का कारोबार चल रहा है जिसका सबसे अधिक खामियाजा इस व्यवसाय से जुड़े युवाओं को हुआ है। इस व्यवसाय से जुड़े युवा अब पढ़ लिखकर नौकरी कर रहे हैं या अन्य व्यवसाय को अपना रह हैं। युवा पुनीत सोनी बताते हैं कि अब इसमें परम्परागत कला से युवा दूर होते जा रहे हैं। जब रेडिमेड आइटम ही बेचने हैं तो वह कोई भी बेच सकता है।
अपने काम की सुगंध से नई पीढ़ी हो रही दूर

अलवर में बहुत से हलवाइयों के परिवारों ने परम्परागत काम को छोड़ दिया है। जबकि कई ऐसे परिवार भी हैं जिनकी नई पीढ़ी ने इस काम को ही परम्परागत तरीके से निकलकर आधुनिकता का संगम किया है जिससे उनका कारोबार बहुत अधिक बढ़ गया है। अलवर में कलाकंद हो या सब्जी मंडी में समोसे व कचोरी वाली दुकान में काम कई गुना बढ़ा है। लेकिन इसके बावजूद आजकल की पीढ़ी अपने घर के पुश्तैनी काम पर कम ध्यान दे रही है। अलवर में बापू बाजार में मिठाई की दुकान हो या फिर बैंड व ढ़ोल की, इन सभी दुकानों पर अब भी वहीं लोग काम कर रहे हैं जो पहले से करते थे, इन दुकानों पर नई पीढ़ी नहीं आ रही है। इससे अब यह पुश्तैनी काम बंद होने के कगार पर है।

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