अलवर जिले में इस बार खरीफ की फसल में पुराने सभी समीकरण बदल गए हैं। इस साल किसान कपास की बुवाई ही नहीं कर रहे हैं जिससे इसका रकबा घटने के आसार है। वहीं दूसरी तरफ किसानों को रुझान बाजरे की बजाए सरसों की फसल के लिए खेत तैयार करने की तरफ अधिक है।
लक्ष्य से कम बाजरे की बुवाई- अलवर जिले में बाजरे की बुवाई का लक्ष्य 3 लाख हैक्टेयर है। इस बार किसानों का पूरा रुझान सरसों की बुवाई की तरफ है। इसके चलते किसान सरसों की बुवाई वाले खेतों को खुला रखता है जिसमें पहले किसी फसल की बुवाई नहीं की जाती।
कृषि विभाग के सहायक निदेशक के.एल. मीणा बताते हैं कि मई में आई तेज बरसात से बाजरे की बुवाई तो हुई है लेकिन यह अभी तक इसकी बुवाई मात्र 70 हजार हैक्टेयर में ही हुई है। किसानों को बरसात का इंतजार है जिसके बाद इसकी बुवाई बढ़ सकती है। इस बार सरसों के भाव अच्छे मिलने से किसान उत्साहित है। इसके चलते सरसों इस बार भी अधिक एरिया में बोई जाएगी।
प्याज बोने की तैयारी- किसानों को रुझान प्याज बोने की तरफ भी है। किसान प्याज के बीज तैयार कर रहा है जिसके कारण वे बाजरे की बुवाई कम रहा है। अलवर जिले में प्याज की बुवाई अगस्त माह में होगी। इस बार बाजरे की बुवाई का लक्ष्य पूरा होने की उम्मीद कम है।
बरसात की कमी से दलहन के प्रति रुझान घटा- कृषि विभाग के सहायक निदेशक के.एल. मीणा का कहना है कि अलवर जिले में दलहन की बुवाई का रकबा हर साल घटता जा रहा है जिसका कारण पानी की कमी है। अलवर जिले में 8 हजार हैक्टेयर में दलहन की बुवाई का लक्ष्य है जो अभी तक मात्र 600 हैक्टेयर ही हुआ है।
अलवर जिले में मूंग की खेती अधिक होती है जिसके लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार दलहन में उड़द भी होती है जिसका रकबा घटने लगा है।