फोन पर मदद मांगने के दूसरे दिन स्कूल पहुंची चाइल्ड लाइन टीम को बालिका ने लिखित शिकायत भी पेश की थी। जिसके आधार पर पुलिस ने सीधे कार्रवाई कर नराधम पिता को गिरफ्तार कर बालिका का मेडिकल कराया था। जिसमें बालिका की बात की पुष्टि हो गई थी। विशिष्ट लोक अभियोजक कुलदीप जैन के अनुसार बालिका ने 16 दिसम्बर 2017 को रात 9:15 बजे चाइल्ड लाइन की 1098 हेल्प लाइन पर मांढण थाना इलाके के एक निजी स्कूल की 5वीं कक्षा की छात्रा नेपिता के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत की थी। बालिका ने कहा कि मां को इसके बारे में बताया तो उसने मदद करने की अपेक्षा चुप रहने की सलाह दी। कल यानि 15 दिसम्बर को स्कूल में सर और मैडम ने आकर हेल्पलाइन तथा गुड और बैड टच की जानकारी दी थी। इस वजह से वह ये फोन कर रही है। बालिका की शिकायत पर चाइल्ड लाइन में हडकम्प मच गया और 18 दिसम्बर को उसकी टीम सीधे स्कूल पहुंची और वीडियोग्राफी कराई।
बालिका ने टीम को पूरे घटनाक्रम का विस्तृत पत्र भी लिखकर दिया। ऐसा ही एक पत्र बाल कल्याण समिति को दिया। चाइल्ड लाइन की टीम ने उसी दिन बालिका को अपनी रिपोर्ट के साथ जिला पुलिस अधीक्षक के समक्ष पेश किया। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई कर सौतेले पिता और मां को गिरफ्तार कर लिया। पीडि़त बालिका के न्यायालय में 164 सीआरपीसी के बयानों के साथ अन्य गवाह पेश किए। परिस्थितिजन्य साक्षयों के साथ ही अन्य सबूतों के आधार पर अलवर के विशिष्ट न्यायालय (पोक्सो संख्या 2) के न्यायाधीश देवेन्द्र सिंह नागर ने दोषी सौतेले पिता को मृत्यु तक जेल में रखने की सजा सुनाई है। मां को मदद नहीं करने का दोषी मानते हुए 6 माह की सजा सुनाई है। सौतेले पिता पर 10 हजार 500 रुपए का जुर्माना भी किया गया है। न्यायालय ने सौतेले पिता को अलग अलग धाराओं में अलग-अलग सजा सुनाई है। सभी सजाएं एक साथ काटनी होंगी।
इन धाराओं में अलग-अलग सजा – न्यायालय ने पुत्री के यौन शोषण मामले में दोषी पिता को आईपीसी की धारा 341 में एक माह की सजा व 500 रुपए अर्थदण्ड तथा अर्थदण्ड नहीं अदा करने पर 5 दिवस अतिरिक्त कारावास।
– पोक्सो एक्ट 9 एलएमएल/10, आईपीसी की धारा 354 क (1) (2) व 354 ख में 7 साल का कठोर कारावास व 5 हजार रुपए अर्थदण्ड तथा अर्थदण्ड अदा नहीं करने पर तीन माह अतिरिक्त कारावास।
– पोक्सो एक्ट की धारा 5 एलएमएल/6 व आईपीसी की धारा 376 (2) एफ.आई.एन. के तहत शेष जीवनकाल तक आजीवन कारावास और 5 हजार रुपए का अर्थदण्ड। पीडि़त प्रतिकर के लिए अभिशंषा की: प्रकरण में न्यायालय ने पीडि़ता को पीडि़त प्रतिकर योजना के तहत आर्थिक मदद दिलाने की भी अभिशंषा की है।