गनीमत यह रही कि गैस रिफिल खाली होने से फटा नहीं। वरना बड़ा हादसा हो सकता था। नायब तहसीलदार भँवरसिंह गौड़ ने बताया कि नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। उन्हौने बताया कि चारों पीडि़त आपस में भाई है और उन्हें तत्काल राहत भी दिए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इधर, अग्नि पीडि़त परिवारों को राहत देने के लिए भामाशाहों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए। स्थानीय समाजसेवी डॉ.
अमरनाथ गुप्ता की ओर से उनके सहायक फतेह मोहम्मद ने राशन सहित जरूरत का सामान खरीदने के लिए आर्थिक सहायता दी।
वहीं व्यापार समिति के अध्यक्ष अशोक डाटा ने ग्यारह सौ रुपए की आर्थिक सहायता दी। इसके अलावा लायन्स क्लब के अध्यक्ष रिंकू मेहता ने बताया कि क्लब की तरफ से अग्नि पीडि़तों राशन सामग्री की किट भेंट की गई। डाटा ने बताया कि आगे भी इन परिवारों की मदद की जाएगी।
ऐसी दमकल किस काम की आग लगने के बाद नगरपालिका प्रशासन की लापरवाही खुलकर सामने आई। स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद दमकल तो पहुंची लेकिन उसका लाभ नहीं मिल सका। बिना कर्मचारियों के ही एक चालक दमकल लेकर पहुंच गया। मौके पर आग से सब सामान जब खाक हो चुका था तब दमकल से बचाव का काम शुरू हो पाया।
स्थानीय व्यवसायी संतोष हेड़ाऊ ने बताया कि समय रहते मदद मिल जाती तो नुकसान कुछ कम होता। हालांकि मौके पर मौजूद युवाओं ने पूरी हिम्मत दिखाते हुए मदद की।
अचेत हुई वृद्धा अपनी दो पोतियों की शीघ्र ही शादी करने का सपना संजोए बैठी अग्निपीडि़तों की मां बनारसी देवी न जाने कब से बड़े लोहे के सन्दूक में दान दहेज के लिए जरूरी जेवर, नकदी व कपड़े सहेज कर रखती रही। मंगलवार को सारा सामान आग की भेंट चढ़ते देख वह बेहोश होकर गिर गई। जिसे उपचार के लिए समीप सीएचसी में ले जाकर भर्ती कराया गया।