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अलवर में 25 वर्षों से बनता आ रहा सत्तारूढ़ पार्टी का सांसद, ये है असली वजह 

अलवर में 25 वर्षों से अलवर में सत्तारूढ़ पार्टी का सांसद बनता आ रहा है। यानी जिस पार्टी की केंद्र में सरकार बनी, उस पार्टी के प्रत्याशी को अलवर की जनता ने सांसद बनाया। इन वर्षों में जनता ने 2 बार कांग्रेस व 3 बार भाजपा पर भरोसा जताया और उनके सांसद बनाए। वर्ष 2004 […]

अलवरJun 05, 2024 / 01:32 pm

Rajendra Banjara

अलवर में 25 वर्षों से अलवर में सत्तारूढ़ पार्टी का सांसद बनता आ रहा है। यानी जिस पार्टी की केंद्र में सरकार बनी, उस पार्टी के प्रत्याशी को अलवर की जनता ने सांसद बनाया। इन वर्षों में जनता ने 2 बार कांग्रेस व 3 बार भाजपा पर भरोसा जताया और उनके सांसद बनाए। वर्ष 2004 व 2009 में कांग्रेस का सांसद चुना और संसद में भेजा। उसके बाद तीन बार लगातार वर्ष 2014, 2019 और 2024 में भाजपा का सांसद बनाया।

वर्ष 1999 में भाजपा प्रत्याशी डॉ. जसवंत यादव यहां से सांसद बने। उस समय केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने थे।

वर्ष 2004 में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. करण सिंह यादव चुनाव जीते। केंद्र में कांग्रेस सरकार बनी। डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे।
इसी तरह वर्ष 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी जितेंद्र सिंह सांसद बने। केंद्र में फिर से डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनी।

वर्ष 2014 में भाजपा के महंत चांदनाथ योगी सांसद बने थे। केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। पीएम नरेंद्र मोदी बने।
वर्ष 2019 में भाजपा के महंत बालकनाथ योगी सांसद बने और केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। फिर से पीएम नरेंद्र मोदी बने।

2024 में भाजपा के भूपेंद्र यादव सांसद बने हैं। भाजपा के गठबंधन एनडीए को बहुमत मिला है। ऐसे मं सरकार उसकी बनती नजर आ रही है।

लोकसभा चुनाव में अलवर सीट पर भाजपा ने राष्ट्रीय नेता भूपेन्द्र यादव पर दांव खेला। वहीं, कांग्रेस ने युवा चेहरे के रूप में ललित यादव को मैदान में उतारा। भूपेन्द्र के राजनीतिक कद और अनुभव के आगे ललित कमजोर पड़ गए। जिसके कारण कांग्रेस को अलवर लोकसभा सीट पर लगातार दूसरी हार झेलनी पड़ी।

दरअसल, भूपेन्द्र यादव वर्तमान केन्द्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं और राष्ट्रीय राजनीति में बड़े नेता के रूप में उनकी पहचान है। लबे राजनीतिक अनुभव के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। अलवर की जनता का मानना है कि केन्द्र में भाजपा की सरकार बनती है तो भूपेन्द्र यादव फिर से मंत्री बनेंगे, जिसका अलवर को पूरा लाभ मिलेगा और अलवर का विकास हो सकेगा। वहीं, चुनाव में मोदी फैक्टर भी चला। भाजपा और कांग्रेस दोनों की तरफ से यादव प्रत्याशी होने के कारण यादव वोट बैंक बंटा और भाजपा के पक्ष में अधिक वोट प्रतिशत रहा।

वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी ललित यादव राजनीतिक अनुभव की कमी के कारण जनता के बीच अच्छी पैठ नहीं जमा पाए। चुनाव प्रचार के दौरान सिर्फ वे स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी के मुद्दे को ही उठाते रहे। वे जनता से जुड़े मुद्दों पर चुनाव को मोड़ पाने में सफल नहीं हो सके। चुनाव से ऐनवक्त पहले पूर्व सांसद डॉ. करण सिंह यादव और जिला प्रमुख बलबीर छिल्लर समेत कई नेताओं के पार्टी छोड़ने से भी ललित यादव को नुकसान हुआ।

वहीं, टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं को मान-मनुहार कर मंच पर लाकर तो खड़ा कर दिया गया, लेकिन पार्टी में चले भितरघात को नहीं भांप पाए। बड़े नेताओं की चुनाव प्रचार में ज्यादा समय नहीं देने का भी ललित की हार का कारण रहा। अलवर लोकसभा में 8 विधानसभा लगती हैं। विधानसभा चुनाव में इन 8 विधानसभा सीटों में से 5 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, लेकिन छह महीने भी कांग्रेस इसे बरकरार नहीं रख पाई।

जीत का प्रमाण पत्र लेने नहीं आए, भाजपाइयों ने लिया

अलवर लोकसभा सीट के चुनाव के नतीजों के समय सांसद और भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र यादव मौजूद नहीं थे। वे उड़ीसा प्रवास पर रहे। वहीं, दिनभर मतगणना के दौरान भी दोनों ही प्रत्याशी मतगणना स्थल पर नहीं आए। भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र यादव जीत के बाद प्रमाण पत्र लेने नहीं आए। ऐसे में उनकी जगह वन मंत्री संजय शर्मा, जिलाध्यक्ष अशोक गुप्ता आदि ने जिला निर्वाचन अधिकारी आशीष गुप्ता से लिया।

लोकसभा चुनाव में अलवर सीट पर भाजपा प्रत्याशी भूपेन्द्र यादव ने नॉन स्टॉप जीत दर्ज की। मतगणना मंगलवार सुबह 8 से कला कॉलेज में शुरू हुई। शाम करीब 5 बजे तक 21 राउंड की मतगणना पूरी हुई। पहले राउंड से ही भाजपा प्रत्याशी भूपेन्द्र यादव ने बढ़त बनाए रखी। भूपेन्द्र 1 से लेकर 21 राउंड तक तक आगे रहे। उन्होंने किसी भी राउंड में कांग्रेस प्रत्याशी ललित यादव को आगे नहीं निकलने दिया।

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