चुनावी साल में लोगों की जरूरतें कुलाचें मारने लगी है, वही मौजूदा राज्य सरकार अपने चार साल के कार्यकाल में अलवर जिले में 6568 करोड़ रुपए के विकास कार्य कराने का दावा कर रही है। आंकड़ों में भले ही सरकार के दावे मजबूत नजर आएं, लेकिन सतही तौर पर लोग इन दावों की हकीकत ढंूढने में जुटे हैं।
दो हजार करोड़ से ज्यादा सडक़ों पर खर्च सरकार का दावा है कि बीते चार सालों में सबसे ज्यादा राशि 2073.4 करोड़ राशि सडक़ों के पुनर्निमाण, मरम्मत, नए सडक़ निर्माण आदि पर खर्च की गई है। इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी जिले में सडक़ों के हाल किसी से छिपे नहीं हैं। जिला मुख्यालय अलवर में सडक़ों की हालत खराब है। ज्यादातर सडक़ें गड्ढों में समाई दिखती है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी सडक़ों के हाल लोगों की जुबां पर हैं।
दावा ग्रामीण विकास का भी खूब ग्रामीण विकास पर 200.91 करोड़, मनरेगा में 315.03 करोड़, पंचायती राज विभाग द्वारा 654.41 करोड़, कृषि व उद्यानिकी में 64.02 करोड़, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग 154.63 करोड़, अल्पसंख्यक मामलात विभाग में 84.86 करोड़, श्रम विभाग के 23 करोड़ यानि चार साल में अलवर जिले में सरकार ने विभिन्न मद में 6567.81 करोड़ की राशि विकास कार्यों पर स्वीकृत की है या कार्य कराए गए।
पानी पर 400 करोड़ से ज्यादा खर्च गर्मी ही नहीं सर्दियों में लोग पानी की गुहार कर प्रदर्शन करते रहे, लेकिन सरकारी दावा जिले में 400.21 करोड़ खर्च कर स्वच्छ पानी पिलाने का है। जिला मुख्यालय पर भी साल भर लोग पेयजल का टोटा झेलते रहे, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग पानी के लिए दूर दराज तक भटकने को मजबूर रहे।
जहां ज्यादा जरूरत, वहां कम खर्च जिले की 40 लाख से ज्यादा आबादी के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों चिकित्सा व्यवस्था बेहतर हो। इसके लिए चिकित्सा क्षेत्र में ज्यादा बजट रखा जाए, लेकिन हुआ उलटा। गत चार सालों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार पर मात्र 120.41 करोड़ रुपए खर्च करने का दावा खुद सरकार का है। यही कारण है कि जिले के लिए लोग इलाज के लिए बड़े शहरों पर आश्रित हैं।
बिजली पर 800 करोड़ से ज्यादा व्यय अलवर जिले में लोग बिजली की समस्या को लेकर भले ही शोरगुल करते रहे हो, सरकार का दावा है कि गत चार साल में जिले में बिजली सुधार एवं नए कनेक्शनों पर 873 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च कर चुकी है। इनमें बिजली छीजत करने, फीडर सुधार, दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना, कृषि कनेक्शन, नए सब स्टेशन इम्प्रूवमेंट सहित अन्य कार्यक्रम शामिल हैं।
शिक्षा पर 113 करोड़ ही खर्च सरकार का दावा बीते चार साल में जिले में बेहतर शिक्षा मुहैया कराने का है। वहीं शिक्षण क्षेत्र में सुविधाओं के विस्तार का दावा भी जनप्रतिनिधियों की ओर से किया जाता रहा है, लेकिन हकीकत है कि शिक्षा के सुधार के लिए मात्र 113.29 करोड़ रुपए ही खर्च किए गए। यह हालत तो तब है जब जिले भर में स्कूल, कॉलेज व अन्य शिक्षण संस्थानों में सुविधाओं के विस्तार की मांग उठती रही।
शहरी विकास पर 1298 करोड़ खर्च करने का दावा सरकार का दावा है कि शहरी क्षेत्रों में विकास एवं समस्याओं के निराकरण पर 1298.01 करोड़ रुपए खर्च किए गए। यह राशि स्वच्छ भारत मिशन, जन आवास योजना, अमृत योजना, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, तीन आरओबी निर्माण सहित अन्य कार्यों पर खर्च की गई। इतनी बड़ी राशि खर्च करने बाद भी लोग सडक़, नाली, पटाव जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बड़े प्रोजेक्ट्स के पूरे होने की बात तो दूर, लोगों की छोटी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाई हैं।