सर्व शिक्षा अभियान की ओर से पूर्व में राजकीय प्राथमिक विद्यालय को 5 हजार रुपए और उच्च प्राथमिक विद्यालय को 10 हजार रुपए वार्षिक स्कूल मरम्मत के लिए राशि प्रदान की जाती रही है। इस राशि से भी किसी भी सरकारी विद्यालय में साल भर तक मरम्मत नहीं हो पाती थी। इस साल तो सरकार ने साल भर की रिपेयरिंग के लिए एक हजार रुपए की राशि ही दी है।
बजट पर मंथन सर्व शिक्षा अभियान के अतिरिक्त परियोजना समन्वयक मनोज शर्मा का कहना था कि बीते वर्ष माइनर रिपेयरिंग के लिए प्रति स्कूल एक हजार रुपए का बजट आया था लेकिन इस साल अभी तक नहीं आया है। इस बार नामांकन के आधार पर बजट देने का मंथन हो रहा है।
इतने में तो कैसे होगी मरम्मत एक हजार रुपए में क्या स्कूल की मरम्मत हो सकती है। इसका जवाब कोई भी शिक्षा अधिकारी हां में देने को तैयार नहीं है। इस समय गांव में भी मिस्त्री की एक दिन की मजदूरी 500 से 600 रुपए तक है जबकि मजदूर 300 से 400 रुपए प्रतिदिन लेता है। अब इसके बाद पानी का इंतजाम और मसाला भी चाहिए। इसके लिए बजरी, सीमेंट ओर रोडी भी चाहिए। इन सभी का इंतजाम एक हजार रुपए में संभव नहीं है। यह राशि बीते शिक्षा सत्र में प्रदान की गई थी जबकि इस शिक्षा सत्र में तो अभी तक बजट ही नहीं आया है।