पोस्टमार्टम रिपोर्ट के विश्लेषण में भी ढिलाई प्रकरण में पुलिस हर संभव प्रयास से बचाव की गलियां तलाश रही हैं। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से मृतक हरीश जाटव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अलवर पुलिस को तीन-चार दिन पहले ही मिल चुकी है, लेकिन अब तक पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का विश्लेषण नहीं कराया है तथा न ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की राय ली गई है। ऐसे में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के विश्लेषण में भी पुलिस की ढिलाई साफ नजर आ रही है।
यूं पलट रही पुलिस की कहानी हरीश जाटव की मौत इलेक्ट्रोनिक और सोशल मीडिया की सुर्खियों में यह घटना मॉब लिंचिंग के रूप में छा गई। जिला पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख ने 19 जुलाई को प्रेसवार्ता कर हरीश जाटव की मौत को प्रथम दृष्टया सडक़ हादसे में मौत बताया और मॉब लिंचिंग की घटना से इनकार किया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने के बाद प्रकरण मॉब लिंचिंग की तरफ घूमता नजर आ रहा है। जिसे देख पुलिस अधिकारियों ने अपने बयान भी बदल दिए हैं। शुरुआत में मॉब लिंचिंग की घटना को सिरे से नकारने वाले पुलिस अधिकारी अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट का विशेषज्ञों से विश्लेषण और चश्मदीदों के बयानों के बाद हरीश की मौत के स्पष्ट कारण बताने की बात कह रहे हैं।
यह है प्रकरण चौपानकी थाना इलाके के गांव झिवाणा निवासी हरीश जाटव पुत्र रतिराम जाटव 16 जुलाई की रात को फलसा गांव में गंभीर घायल व अचेत अवस्था में पड़ा मिला। पुलिस ने उसे भिवाड़ी सीएचसी में भर्ती कराया। हालत गंभीर होने पर परिजन उसे इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले गए। वहां 18 जुलाई को हरीश की मौत हो गई। इससे एक दिन पहले 17 जुलाई को पिता रतिराम ने फलसा गांव के कुछ लोगों के खिलाफ बाइक भिडऩे की बात पर हरीश के साथ गंभीर मारपीट करने का प्रकरण दर्ज कराया। वहीं, दूसरे पक्ष के जमालुदीन ने अपनी पत्नी हकीमन को बाइक से टक्कर मारने का मामला हरीश के खिलाफ दर्ज कराया था।