सरकार ने बजरी के अवैध खनन व परिवहन पर रोक के लिए सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दिए, लेकिन लंबे समय से संयुक्त कार्रवाई नहीं हो पाने से आदेश बेअसर ही रहे। एसआइटी गठन की कवायद भी व्यर्थ गईराज्य सरकार के आदेश पर करीब दो महीने पहले जिला कलक्टर ने बजरी के अवैध खनन व परिवहन के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसआइटी का गठन किया। एसआइटी गठन के बाद उम्मीद थी कि इसमें शामिल खनन, वन, परिवहन, पुलिस, प्रशासन, राजस्व विभाग आदि मिलकर अवैध तरीके से पनप रहे बजरी खनन माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे, लेकिन अब तक एक भी संयुक्त कार्रवाई नहीं हो पाई है।
विभागों की प्राथमिकता अलग-अलग एसआईटी में शामिल खनन, वन, परिवहन, राजस्व, पुलिस व प्रशासन की विभागीय प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं, इस कारण सभी विभाग अपनी-अपनी प्राथमिकता के आधार पर कार्यों का निर्धारण करते हैं, जिसमें खनन विभाग को छोड़ शेष विभागों के लिए बजरी का अवैध खनन व परिवहन रोकना प्राथमिकता में नीचे रहा है।
यही कारण है कि एसआइटी में शामिल विभागों की अभी तक संयुक्त बैठक नहीं हो पाई, जिससे संयुक्त कार्रवाई की कार्ययोजना नहीं बन पाई। विभिन्न विभागों के अधिकारियों के बीच कभी कभार संयुक्त कार्रवाई को लेकर चर्चा हुई, लेकिन सभी विभागों ने अपने कार्यों का हवाला देकर कार्रवाई से पल्ला झाड़ लिया।
जिले में 63 मामले पकड़े, तीन में एफआईआर दर्ज इस वर्ष एक जनवरी से 30 जून तक अलवर जिले में बजरी तस्करी के 75 मामले दर्ज किए गए। वहीं 75 लोगों पर 72 चालान काटे गए। खनिज अभियंता केसी गोयल के अनुसार इस साल एक अप्रेल से अब तक खनिज विभाग की ओर से बजरी तस्करी के 63 मामले पकड़े गए हैं तथा तीन मामलों में आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।