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रेड जोन में मिलती है केवल 5 साल की एनओसी, मगर अलवर में 50 साल से चल रही फैक्ट्रियां

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में लगी याचिका में कई खुलासे हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह सामने आई है कि राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रेड जोन कैटेगिरी में सिर्फ 5 साल की एनओसी देता है, जबकि आरटीआई से पता लगा कि अलवर, खैरथल-तिजारा और कोटपूतली-बहरोड़ जिले में कई फैक्ट्री पिछले कई सालों से संचालित की जा रही हैं।

अलवरJun 02, 2024 / 11:29 am

Umesh Sharma

अलवर।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में लगी याचिका में कई खुलासे हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह सामने आई है कि राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रेड जोन कैटेगिरी में सिर्फ 5 साल की एनओसी देता है, जबकि आरटीआई से पता लगा कि अलवर, खैरथल-तिजारा और कोटपूतली-बहरोड़ जिले में कई फैक्ट्री पिछले कई सालों से संचालित की जा रही हैं। जिला आबकारी अधिकारी बहरोड ने भी सूचना के अधिकार में जानकारी दी कि प्रत्येक फैक्ट्री में 4 से 5 बोरवेल चल रहे हैं, जबकि इनमें बिना एनओसी के ही ट्यूबवेल खोदकर पानी का जमकर दोहन किया जा रहा है।
हैदर अली ने याचिका में लिखा है कि भूजल विभाग अलवर की आरटीआई में सामने आया कि अलवर जिले में संपूर्ण 14 पंचायत समिति (जिसमें पूर्व में बहरोड़ भी साथ में थी) अति दोहित डार्क जोन में थीं। इसके बाद बाद भी अधिकांश भूमिगत पानी शराब व बीयर फैक्ट्रियां खींच रही हैं। प्रदेश के कुल शराब उत्पादन का 60.31 प्रतिशत अकेले अलवर जिले में हो रहा है। अलवर, बहरोड़, नीमराणा, शाहजहांपुर एवं भिवाड़ी क्षेत्र में अभी 21 शराब व बीयर फैक्ट्रियां हैं। जितना पानी ये उपयोग में ले रही है, उतने पानी से अलवर शहर की जनता को कई महीनों तक पानी आपूर्ति किया जा सकता है। इनमें ज्यादातर फैक्ट्रियों के पास बोरवेल की एनओसी नहीं है। जिनके पास एनओसी है, वहां भी आवश्यकता से ज्यादा बोरवेल चल रहे हैं।
अब कमेटी करेगी जांच…सच्चाई आएगी सामने

एनजीटी ने एक संयुक्त समिति का गठन किया है। इसमें केंद्रीय भूजल प्राधिकरण जयपुर, अलवर कलेक्टर और सदस्य सचिव, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एक-एक प्रतिनिधि को शामिल किया गया है। यह कमेटी मौका-मुआयना करेगी और एक रिपोर्ट तैयार कर छह सप्ताह में एनजीटी को पेश करेगी। याचिकाकर्ता की ओर से एक सप्ताह के भीतर इस कमेटी को सभी दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे।
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याचिका में यह रखी मांगें

-सभी शराब फैक्ट्रियों को बंद करने का निर्देश दें, ताकि भूजल को बचाया जा सके।- उन सार्वजनिक निकायों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, जो इन शराब फैक्ट्रियों को कारोबार की एनओसी दे रहे हैं।
-उन कारखानों का राज्यवार निरीक्षण किया जाए जो औद्योगिक और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए नियम विपरीत भूजल का दोहन कर रहे हैं।

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