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अलवर

सरिस्का के वन्यजीवों पर मंडरा रहा यह बड़ा खतरा, मुश्किल में सरिस्का

सरिस्का में वन्यजीयों और वनस्पति पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

अलवरJan 14, 2018 / 04:23 pm

Prem Pathak

increasing pollution in sariska by motor vehicles
सरिस्का में वाहनों के बढ़ते शोर व प्रदूषण से वन्य जीव व वनस्पति के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। प्रदूषण से सरिस्का में लगातार वनस्पति सूखती व कम होती जा रही है। वन्य जीवों में भी बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है।
बाघ परियोजना सरिस्का में बाघों को निहारने एवं प्रकृति का लुत्फ उठाने हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। मंगलवार व शनिवार को पाण्डूपोल हनुमानजी के दर्शनों के लिए भी भीड़ उमड़ती है। सरिस्का में सड़कों के जर्जर व धूल-धूसित होने से पयर्टकों के वाहनों के साथ धूल का गुबार भी उठता है, जो यहां की वनस्पति व वन्यजीवों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। धूल से वन्य जीवों में संक्रमण का अंदेशा भी बना रहता है। प्राणी शास्त्र के वैज्ञानिक एवं राजकीय महाविद्यालय थानागाजी के पूर्व प्राचार्य डॉ. अजय वर्मा के अनुसार धूल से वनस्पति की वृद्धि रुक जाती है और उसके सूखने का अंदेशा बना रहता है। दरअसल, लगातार धूल के गिरने से वनस्पति के श्वसन छिद्र बंद हो जाते हैं और उनकी प्रकाश संश्लेषण क्रिया थम जाती है। एेसे में पेड़-पौधे व वनस्पति धीरे-धीरे नष्ट होने लग जाते है।
यह पड़ता है प्रभाव

डॉ. वर्मा के अनुसार वाहनों से उड़ती धूल के लगातार श्वास के साथ वन्य जीवों के शरीर में पहुंचने से उनके फेफड़ों में यह धूल जमने लगती है। एेसे में वन्य जीवों को ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है और उनमें सांस की बीमारी का अंदेशा बढ़ जाता है। लगातार श्वास के साथ धूल आदि के शरीर में जाने से वन्य जीव की मौत भी हो सकती है।
पत्तियां पड़ी पीली

सरिस्का में धूल के उठते गुबार से पेड़-पौधे व वनस्पति पीली पड़ गई है। पेड़ों की पत्तियों पर इतनी अधिक धूल है कि कई बार ये पहचानना भी मुश्किल हो जाता है कि यह पेड़ किसका है? जानकारों की मानें तो सरिस्का में पहले डामर की सड़क थी। तब वाहनों के साथ धूल-मिट्टी कम उड़ती थी। जब से सरिस्का में सड़क पर मोरम व गिट्टी डाली गई है, तब से सरिस्का का बेड़ागर्क हो गया है। धूल-मिट्टी के चलते सरिस्का में सूखे पेड़ों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इससे जंगल का प्राकृतिक सौदर्य नष्ट हो रहा है।
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