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चाचाका गांव की जन्नती ने खेती-किसानी में नवाचार कर बनाई अलग पहचान…पढ़ें यह न्यूज

मल्चिंग व लोटनल पद्धति से टमाटर की खेती कर कमाए लाखों रुपए। परंपरागत खेती से कभी नहीं हुआ था गुजरा, अब जन्नती की खेती को देखने के लिए पहुंचते हैं लोग।

अलवरJun 03, 2024 / 05:17 pm

Ramkaran Katariya

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अलवर. पंचायत समिति किशनगढ़बास के गांव चाचाका में जन्नती पत्नी अकबर ने खेती-किसानी में नवाचार कर क्षेत्र में अलग ही पहचान बना ली है। अशिक्षित जन्नती के पास कम भूमि होने के बाद भी कृषि में नवाचार कर खेती-बाड़ी में उत्पादन के उन्नत तरीकों से खेती कर लाखों रुपए सालाना कमा रही हैं। 
गांव चाचाका किशनगढ़बास से पूर्व की और 14 किलोमीटर की दूरी पर है। इस गांव में लगभग 500 घर हैं। इस गांव में 4 वर्ष पूर्व आजीविका के कार्य शुरू किए गए थे। यहां पर खेती-बाड़ी, बागवानी, सब्जी, उत्पादन, रबी व खरीफ की फसल उत्पादन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, महिला उद्यमिता आदि कार्य किए जा रहे हैं। साथ ही गांव में महिला किसानों की एक पाठशाला भी चलाई जा रही है, जिसके तहत पाठशाला के सदस्यों को आजीविका कार्यों के बारे में बताया जाता है। फसल आधारित प्रशिक्षण भी दिया जाता है। चाचाका गांव की इस पाठशाला में आजीविका सखी व संस्था स्टाफ की ओर से खेती बाड़ी में उत्पादन के उन्नत तरीकों के बारे में भी बताया जाता है। उन्नत तरीकों से खेती-बड़ी करने के तरीके जिनमें बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति, लेजर स्प्रिंकलर, मल्चिंग, लोटनल, मचान, रेन गन, उन्नत तरीके से सब्जी उत्पादन आदि उन्नत तरीकों के बारे में बताया।
 पशुपालन व मजदूरी पर निर्भर

पाठशाला प्रशिक्षण से प्रेरणा लेकर चाचाका गांव की जन्नती पति अकबर भी इस पाठशाला से जुड़ी। जन्नती के 7 बच्चे हैं, जिनमें से तीन बेटियों की शादी कर दी है और दो बेटे 12वीं कक्षा में अध्ययन करते हैं, इनका पति खेती बाड़ी और पशुपालन का कार्य करता है। इनके पास एक गाय, एक भैंस है। इस परिवार की आजीविका खेती बड़ी, पशुपालन व मजदूरी पर निर्भर है।
टमाटर की फसल उगाई और एक लाख सालाना की कमाई  

जन्नती के इस गांव की इस पाठशाला से जुड़ने के बाद उसने खेती बाड़ी के उन्नत तरीके सीखे और उन्नत कृषि के बारे में जानकारी बढ़ाई। इससे पहले यह परिवार केवल साधारण कृषि कार्य कर अपना गुजारा बसर कर रहा था, लेकिन उन्नत कृषि की जानकारी प्राप्त कर जन्नती ने उन्नत तरीके से कम भूमि में टमाटर की फसल उगाई और इस परिवार ने करीब एक लाख सालाना कमाई की। जन्नती को टमाटर की खेती करने के लिए कुछ पोषक तत्वों का सहयोग मिला, जिसमें के- मैग 25 किलो, फेरस सल्फेट ढाई किलो, माईकोराज 2 किलो, जिंक 3 किलो, जेबा 2 किलो, ट्राई कोडरमा 2 किलो, रीजेंट 1 किलो सहित उसने स्वयं की खरीद का उन्नत किस्म का बीज, गोबर की अच्छी सड़ी गली खाद आदि डाले। इब्तिदा संस्था ने इनको मल्चिंग के साथ लो टनल पद्धति से टमाटर की खेती कार्रवाई, जिससे उसकी लगभग 60,000 रुपए की कमाई हुई।
30 गांवों में इस तरह की खेती की जा रही है

इस बार फरवरी 2024 में जन्नती ने टमाटर की खेती की और उन्होंने स्वयं के कंट्रीब्यूशन से ड्रिप पद्धति से स्टेस्किंग के साथ टमाटर लगाया है। उनको एक बीघा से 100000 रुपए की पैदावार हुई। साथ ही दूसरे खेत में भी एक बीघा टमाटर लगाया। ऐसे कुल मिलाकर इनको 2 लाख की कमाई हुई। इन्होंने आधा बीघा में मिर्च भी लगा रखी है। अभी मिर्च का उत्पादन शुरू नहीं हुआ है। जन्नती कहती है कि उसने खेती-बाड़ी के उन्नत तरीकों के बारे में जाना और इसका आजीविका में फायदा हुआ। क्षेत्र के 30 गांवों में इस तरह की खेती की जा रही है, जिससे महिला किसानों को सब्जी उत्पादन में बहुत फायदा हो रहा है और उनकी आमदनी बढ़ रही है।

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