शहर में लॉक डाउन के बाद गुरुवार को दुकानें तो खुली लेकिन दुकानदारों में इस समय को लेकर आक्रोश दिखाई दिया। दुकानदारों का कहना था कि शहर में बाहर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले ग्राहक सुबह 5 बजे तो उठकर चल नहीं सकता है। इससे हमें बहुत नुकसान हुआ है। जिला प्रशासन अपनी मर्जी से आए दिन नियमों में परिवर्तन कर रहा है जो अव्यवहारिक है। दोपहर 2 बजे बाद तो अलवर शहर के कोतवाली क्षेत्र में पूरी तरह सन्नाटा छा गया।
एक नजर में प्रशासन का निर्णय और बाजार का हाल- सुबह चार बजे नहीं आया कोई – प्रशासन ने सुबह चार बजे गोदाम व थोक का सामान बेचने के लिए समय निर्धारित किया था लेकिन अधिकतर दुकानदार देरी से आए। दुकानदारों का कहना था कि ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले दुकानदार तो हमारे पास माल लेने नहीं आ पाएंगे।
ग्राहक ही नहीं आए- सुबह सात बजे ना तो कोई रिटेल दुकानदार आया और ना ही कोई ग्राहक। ग्राहक और दुकानदार के अभाव में बाजार सूने रहे। चूड़ी मार्केट में लग गई कई दुकानें-
चूड़ी माकेर्ट से सटी गणेश मार्केट में लोग दुकान खोलकर बैठे रहे। इन गलियों के नाम अलग-अलग है जिसको लेकर दुकानदारों ने दुकानें खोल ली। दुकानदार खुश ना ग्राहक- पत्रिका ने यहां बाजार में दुकानदारों से बातचीत की तो वो भारी आक्रोश में दिखाई दिए और उधर ग्राहकों का कहना है कि हम नहाए नहीं, सबसे पहले सुबह 5 बजते ही खरीददारी करने चल दें।
बाजार खुला-खुला नजर आया, जाम से मुक्ति- प्रशसन की ओर से चौपहिया वाहनों के प्रवेश पर मुख्य बाजारों पर रोक का लाभ स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। दुकानदार और आम आदमी ने प्रशासन के इस निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि यह निर्णय तो बिल्कुल सही है जिससे बाजार में सारे दिन जाम रहने की परेशानी से मुक्ति मिले। प्रशासन को स्थाई रूप से ऐसे वाहनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
बैंकों में रही भीड- कई दिन बाद बैंक खुलने के कारण उनमें भीड़ रही। कई लोग ऐसे थे जिनके पास एटीएम ही नहीं है जो अपने पैसे निकलवाने यहां आए। कई दिनों तक उन्हें भारी परेशानी हुई।