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अलवर

बरसात को तरसा अलवर

इस साल अलवर जिले में मानसून की आहट ही सुनाई नहीं दे रही है। अलवर जिले के किसानों और आमजन को बरसात का इंतजार है लेकिन बरसात आने का नाम ही नहीं ले रही है। यदि यही हाल रहा तो खरीफ की फसल को नुकसान होगा।

अलवरJul 23, 2019 / 12:17 pm

Dharmendra Adlakha

monsoon in alwar

बरसात को तरसा अलवर

बरसात के मौसम में अब तक मानसून की औसत वर्षा से आधी बरसात हो जाया करती थी। इस वर्ष मानसून की बेरूखी किसानों पर ही नहीं आम आदमी पर भारी पड़ रही है। बारिश नहीं होने के कारण जिले के 24 में से 22 बांध सूख गए हैं। वर्तमान में जिले में केवल सिलीसेढ़ व मंगलांसर बांध में ही पानी बचा है। जिले में मानसून सक्रिय नहीं होने से यहां के किसान भी चिंतित हैं
अलवर जिले में अब तक मात्र 91.36 मिमी ही बरसात हुई है। अलवर जिले में इस अवधि तक 250 मिमी तक बरसात हो जाया करती थी लेकिन इस साल मानसून का अता पता ही नजर नहीं आ रहा है। अब तक अलवर शहर में 110, रामगढ़ में 100, मुंडावर में 16, बहरोड़ में 126, बानसूर में 81, लक्ष्मणगढ़ में 126, तिजारा में 73, कठूमर में 51, किशनगढ़बास में 73, मालाखेड़ामें 118, राजगढ़ में 62, टपूकड़ा में 24, सोड़ावास में 210, मंगलसर में 27, जयसमंद में 13, सीलिसेढ़ में 50, बहादरपुर में 65, थानागाजी में 137, कोटकासिम में 228, गोविन्दगढ़ में 29 बरसात हुई है।

दो बांधों में ही पानी-

बरसात समय पर नहीं आने के कारण अलवर जिले के अधिकतर बांध खाली हैं। सीलिसेढ़ बांध में 12 फिट और मंगलसर में 6 फिट ही पानी है जबकि अन्य बांध खाली हैं।
खरीफ की फसल पर संकट-

अलवर जिले में इन दिनों मानसून के आगमन के साथ ही खरीफ की फसलों की बुवाई होती है। इन दिनों जिन किसानों ने बाजरे की पहले बुवाई की थी, उनका बाजरा खराब होने की संभावना है। इसी प्रकार ज्वार, मक्का, अरहर व कपास की फसल पर भी संकट है। कृषि उप निदेशक पीसी मीणा का कहना है कि आगामी कुछ दिनों तक बरसात नहीं आने पर खरीफ की फसल पर विपरीत प्रभाव पडेग़ा।
लो प्रेशर के कारण नहीं हुई बारिश

मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि लो प्रेशर होने के कारण जिले में बारिश नहीं हो पाई है। जिले के आस-पास के क्षेत्रों में बारिश होने के कारण जिले के तापमान में बढ़ोतरी नहीं हुई। इस कारण से यहां अभी तक मानसून सक्रिय नहीं हो पाया है।

औसत से बेहद कम बारिश

जिले में इस साल औसत से बेहद कम बारिश हुई है। जिले में बारिश का सालाना औसत 555 मिमि है। इसके अनुसार अभी तक 189.62 मिमि बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अभी तक जिले में केवल 125.57 मिमि बारिश ही हुई है।
राजगढ़ क्षेत्र में बुवाई पर संकट-


राजगढ़ 22 जुलाई। राजगढ़ क्षेत्र में बारिश नही होने के कारण करीब दो हजार हैक्टेयर भूमि में बुवाई नही हो पाई है। इसके अलावा बारिश के अभाव में ज्वार व मक्का की फसल जलने लग गई है। मोतीवाड़ा गांव निवासी किसान रामकरण गोस्वामी का कहना है कि उसने अ_ारह बीघा खेत में ज्वार, बाजरा व मक्का की बुवाई कर नलाई कर दी है। बारिश नही होने के कारण ज्वार व मक्का की फसल मुरझाकर जलने लग गई है। यदि कुछ दिनों में बारिश नही हुई तो करीब बीस हजार रूपये का नुकसान उठाना पड़ेगा। इससे पहले पांच बीघा भूमि में ज्वार व मक्का की बुवाई की थी। लेकिन वो उग नही पाएं। रतनपुरा गांव निवासी किसान छोटेलाल मीना का कहना है कि उसने पंद्रह बीघा के खेत में बाजरा व ज्वार की बुवाई कर नलाई कर दी अब आधा-आधा फीट फसल के पौधे बारिश नही होने के कारण मुरझाकर सूखने लग गए है। दस-पंद्रह दिन बारिश नही आई तो करीब बीस हजार रूपये का नुकसान होगा। कृषि अधिकारी गोकरण मीना का कहना है कि राजगढ़ क्षेत्र में अ_ारह हजार हैक्टेयर जमीन में से सोलह हजार हैक्टेयर में फसल की बुवाई हुई है। बारिश नही आने के कारण दो हजार हैक्टेयर जमीन पर बुवाई नही हो पाई है। तेज धूप व बारिश नही होने के कारण ज्वार व मक्का की फसल जलने लग गई है। यदि पांच- दस दिनों में बारिश नही हुई तो ज्वार व मक्का की फसल जलकर नष्ट हो जाएगी। क्षेत्र में 353 हैक्टेयर में मक्का, 2165 हैक्टेयर में ज्वार, 1350 हैक्टेयर में बाजरा, 2 हैक्टेयर में अरहर, 50 हैक्टेयर में तिली , 5 हैक्टेयर में कपास, 120 हैक्टेयर में ग्वार व 334 हैक्टेयर में सब्जी व अन्य फसल की बुवाई हुई है। कृषि अधिकारी विश्राम मीना का कहना है कि बारिश नही होने के कारण आंधवाड़ी, लुहारवाड़ा, टहटडा, सालोली, माचाड़ी, बबेली आदि क्षेत्रों में बारिश नही होने के कारण फसल की बुवाई नही हो पाई है। बारिश नही होने व तेज धूप पडऩे के कारण ज्वार व मक्का की फसल मुरझाकर जलने लग गई है। यदि बारिश कुछ दिनों में नही हुई तो फसल जल जाएगी। जिससे भारी नुकसान किसानों को उठाना पड़ेगा।

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